आवारा मुसाफिर हूँ..
भटकता सुबह से रात हूँ..
पर परिंदों की तरह दिन ढलते ही घर के
आँगन में लौट कर सुकून से सोता हूँ /
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कुछ आप बीती तो कुछ दूसरों की कहानियाँ लिखती हूँ /
वजह..
वजह नाराज़गी कि पूछने का मौका
तो दिया होता..
बस वो तो लहज़े बदलते गए
और हम किसी आपने के बेहद से
बेवजह हो कर अजनबी कहला दिए गए /-
तो उसने आज कुछ ऐसा पूछा,
सब ख़ैरयत ?
काफ़ी वक़्त हुआ ना कोई शायरी
ना कोई नज़्म..
अपनी कलम से नाराज़गी है या लफ़्ज़ों
पर लगा विराम है ?
मसला ना कलम का ना लफ़्ज़ों का,
बस थोड़ा लेख़क का मन विचलित
और सुवास्थ खराब है ..
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किताबों की अलमारी में
आज एक खत पुराना मिला ..
उसमें ज़िक्र तुम्हारे बेहद का था
सब्र, मेहनत, इश्क़ का था..
वो खत सुकून कि शाम सा था /
किताबों की अलमारी में
आज एक खत पुराना मिला ..-
आज चमक नहीं इन आँखों में..
आज खनक नहीं तेरी बातों में..
लगता है कोई उसका अपना रूठा था
या
यूँ कहुँ कोई उसका सपना टूटा था /
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जो गुज़ारी ही नहीं तेरे साथ मेरे पास आज
भी ऐसी एक शाम पड़ी है..
मेरे कमरे में रखी तेरी एक निशानी है,
तेरी कलम और मेरी डायरी टेबल पर पड़ी
एक अनकही कहानी है/-
उसे अपनी नज़्म में लिखने बैठी एक रात,
ना जाने अब तक कितने दिन बर्बाद कर बैठी../
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A nite of a student be like...
Books laying around with head
bowed on table covered with
a cosy blanket all around !!-
I felt really bad Maa...
When everyone was talking
about Love, But no one took
your name :"(-
She : I still love you 😢
He : I wish I could too ❤
(He was suffering from
Brain Tumor)-