शख़्स शख़्सियत पूछ मेरी
हाल क्या बताऊ तुम्हें अपने तजुर्बे का,
एक चाह बेहतर सी, जिंदगी मेरी
मगर पता नहीं, मेरी रूह को इस राह का-
तेरे अलफ़ाज़
मैं कोई शायर नही , बस दिल की बात लिखता हूँ
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हुजूर, जी हुजूरी कर रहा हू मै
तेरे बगैर , तेरे इश्क़ मे मर रहा हू मै
सुकून अब कहाँ इस लम्हे मे है
हर लम्हा तेरे इश्क़ से लड़ रहा हू मै-
है इश्क तुमसे मगर हम कह नहीं सकते
बयां तुमसे होगा नही एतबार हम कर नही सकते
जिंदगी में फासले बहुत है मगर
दूर रह कर भी नजदीक आ नही सकते🤍-
क्या लिखा था या क्या लिखूँ मै
दिल की दास्ताँ अब अब क्या कहूँ मै
जो बीता उसको अब जाने भी दो
अब उसके बारे मे अब क्या सुनु मै-
अब वो भी मुझसे ऐसे झगड़ रही है
जैसे हवाओं में साँसे उखड़ रही है
और न जाने क्यो अब उसकी मुस्कुराहटें मुझसे नही मिलती
लगता है वो अब मुझसे भी बात करने में झिजक रही है-
सब कुछ यूं बेपर्दा न करो
कुछ चीज़ें पर्दे में भी रहने दो
और आने वाली है हिज़्र की राते
तो पिलाओ शराब और मुझे नशे में ही रहने दो-
वो कहती है , तुम्हे मोहोब्बत नही आती
तो फिर प्यार में शिकायत कैसा है ?
गर तुम्हे मोहोब्बत हुई है किसी से कभी
तो बताओ अधूरे दिल से दिल लगाना कैसा है ?-
ख्वाब का दरिया भी समझते हो , इश्क़ का ज़रिया भी समझते हो
समझते हो तुम इश्क़ में डूबना फिर भला क्यों इश्क़ में ही डूबकर इश्क़ को ही समझते हो-
मुमताज वक़्त गुजर रहा है , फुरसत मिली क्या ?
वो आईना के सामने बैठके आईना ढूंढ रही है
मेरी तस्वीर में झाँककर बताओ , तुम्हे खुद की सूरत दिखी क्या ?-