रात खामोश सो रही है कि मैं अकेला हूँ,
हवाओं तुम ही कुछ बोलो कि मैं अकेला हूँ।
रात,गुल,चाँद सब हैं बस तुम ही नहीं,
हमारी सालगिरह है और मैं अकेला हूँ।
खुशी का दिन है यूँ ग़मज़दा नहीं रहते,
उदासियों मुस्कराओ कि मैं अकेला हूँ।
वस्ल में उदास लोगों का ख्याल कौन करे,
तुम भी क्यूँ याद रखो कि मैं अकेला हूँ।
तुमसे नहीं कहता कि आ के गले लगाओ,
बस यूँ ही बता रहा हूँ कि मैं अकेला हूँ।।
-Aavi
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