Anupam Upadhyay   (R'Aavi)
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मिरा अपना कोई क़िस्सा नहीं है!💓
Joined 6 September 2017


मिरा अपना कोई क़िस्सा नहीं है!💓
Joined 6 September 2017
24 SEP 2021 AT 9:05

जो लहज़ा खराब है मेरा,
तो फिर शहर-ए-इश्क़ में क्या काम है मेरा,
तेरी बज़्म से उठकर जाने लगा हूं मैं अब,
जाते हुए भी जाना,
दिल में तू, लबों पे नाम है तेरा।

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1 SEP 2021 AT 11:27

तेरी बातों से दिल लगाया,
तेरे नाम को छुआ हमने,
तेरी आंखों पर फ़िदा हुए,
तेरे काजल को संभाला हमने।

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12 AUG 2021 AT 21:17

सितारे चूमने चला था मैं,
ज़मीन छिन गई मेरी इस दौड़ में।

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10 AUG 2021 AT 19:57

रात  खामोश सो  रही है कि  मैं अकेला हूँ,
हवाओं तुम ही कुछ बोलो कि मैं अकेला हूँ।

रात,गुल,चाँद सब  हैं बस  तुम ही नहीं,
हमारी  सालगिरह  है और मैं अकेला  हूँ।

खुशी का  दिन  है यूँ  ग़मज़दा  नहीं रहते,
उदासियों  मुस्कराओ  कि मैं  अकेला हूँ।

वस्ल में उदास लोगों का ख्याल कौन करे,
तुम भी  क्यूँ याद  रखो  कि मैं अकेला  हूँ।

तुमसे नहीं कहता कि आ के गले लगाओ,
बस  यूँ ही बता  रहा हूँ  कि मैं  अकेला  हूँ।।

-Aavi

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22 JUL 2021 AT 13:28

अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा बनना है मुझे,
हकीकत नहीं तो न सही, किस्सा बनना है मुझे,
क्या शह, क्या चाल और क्या मात क्या,
सारी की सारी बिसात बनना है मुझे।

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18 JUN 2021 AT 20:50

दिल में रहने वाले ज़रूरी हैं मेरे लिऐ,
दिल रखने वाला 'मैं', मेरा कोई हिसाब नहीं,
दिन उजाले में रहें ये ज़रूरी है मेरे लिऐ,
रातें तमाम तन्हा, उसका कोई हिसाब नहीं।

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13 JUN 2021 AT 22:08

बारिशों को इजाज़त नहीं दी हमने,
आंखों के दरिया को सूखा रहने दिया,
सारा हिज़्र अकेले काटा हमने,
तमाम हूरों को बेकरार रहने दिया।

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25 MAY 2021 AT 20:07

दो हिस्से में हैं वो,
कभी एक किस्से में थे जो।

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25 MAY 2021 AT 20:03

आंखों में जो बसा है, बह जाता तो बेहतर था,
ख़्वाब कोई नया न आता, तो बेहतर था;
भंवर होता है, ये इश्क़ जो होता है,
किसी एक किनारे का रहने देता तो बेहतर था।

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25 MAY 2021 AT 20:00

ऐसे करीब आए हम,
जैसे घुलता हो इत्र हवा में,
सब ज़रूरी है इश्क़ में पर,
निहायत ज़रूरी है,सब्र वफ़ा में।

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