तुम मुस्कुराते हो तो लगता है ऐसे ,
बागों में फूल अभी खिले हों जैसे !-
बन्दा बड़ा ही बेतरतीब है !
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प्यार वो नैय्या है,जिसका न खेवैया है ,
इसको तो डुबोना है जग का रवैया है !
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जितना उसे मैं पसन्द हूँ , उतनी वो मुझे प्यारी है , इतनी कहानी हमारी है !
इक दूजे को चाहने के सिवा और नहीं कुछ किया,इस चाहत में उम्र गुजारी है !-
जो चीथड़ों में लिपट गए खादी के लिये ,
है नमन उनको आज आज़ादी के लिये !-
वापस ले लो ये काले क़ानून ,
हमें चाहिये वही वाले क़ानून !
जिनसे हुआ शोषण-पोषण ,
तुमने काहे बदल डाले क़ानून!
इसमें संसद की बिसात क्या ,
बहुमत के बल बनाले क़ानून !
हम न मानेंगे क़ानून का राज ,
तुम करो हमारे हवाले क़ानून !
बातों से ही हल हों सब मसले ,
कोई किताबों से हटाले क़ानून !
क़ानून से नहीं बदला समाज ,
ये बात मन में बैठाले क़ानून !
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तुझे खोना न होना तेरा पहचान है मेरी ,
लोग तेरे ही नाम से अब बुलाते हैं मुझे !-
चन्द्रमा की तरह कलाएँ हैं तुम्हारी ,
हमें जो लगीं बुरी बलाएँ हैं तुम्हारी !-
तुमसे जब पहली बार मिला था मैं ,
एक फूल की मानिन्द खिला था मैं !-
तेरे बगैर है जीना कैसे कुछ मश्वरा ही दिया होता ,
तन्हाई के आलम में मैं इस क़दर न तबाह होता !-