Anshul Nagori   (अंशुल नागोरी)
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Joined 23 April 2017


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19 FEB AT 16:54

होठों पर मुस्कानें हैं और आँखों में रुसवाई है
हर पल छल में जीने की अब कैसी ये ऋत आई है

भारी भरकम बादल मन अब बारिश भर कर बहता है
बिजली सी इक छू जाए ख़्वाहिश ये मन ने जगाई है

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3 FEB AT 11:37

ख़ुदा की क्या मेहरबानी हुई है आज हम पर यूँ
कि हर हरकत उठी थी जो थमी है आज सम पर यूँ

तरन्नुम में कि जिनके साँस लेते हैं ये शीरीं सुर
मुलाक़ात-ओ-ख़ुमार उनका बन आया आज दम पर यूँ

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29 OCT 2024 AT 11:14

धुआँ क्यों जगह पे ठहरा है
तेरा क्या हवा पे पहरा है?

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27 APR 2023 AT 15:09

जो हम तुम दोनों आसमान सारा देखें
ये तो नहीं कि दोनों एक ही तारा देखें

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9 AUG 2022 AT 21:24

#makhmal #lyrics
4

जो उजालों ने मुझे छुआ
दुआ दुआ है यारा
करती कोशिश कशिश तेरी
छुए मुझे दोबारा

मैं तरबतर हुई तेरे ख़ुमार में
मख़मल सी खिली खिली फ़िज़ा में

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9 AUG 2022 AT 21:19

#makhmal #lyrics
3

परबतों को वादी ने जो देखा तो ये पूछा है
टिमटिमाते तारों ने हाँ रातों में कहा क्या है

बादल से हारी, वादी बेचारी
राहों में तारों की राहें तके
जाँ ये जुआरी, तुम पे है वारी
तेरी निगाहें, निगाहें तकें

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9 AUG 2022 AT 21:14

#makhmal #lyrics
2


जो ख़यालों ने तेरे छुआ
रुआँ रुआँ है यारा
करती कोशिश कशिश तेरी
छुए मुझे दोबारा
मैं तरबतर हुई तेरे ख़ुमार में...

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9 AUG 2022 AT 21:07

#makhmal #lyrics
1


मख़मल सी खिली खिली फ़िज़ा में
पागल ये ख़याल चल रहे हैं
संदल भी कहीं महक रहा है
बादल भी नमी में घुल रहे हैं

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7 AUG 2022 AT 1:03

MAKHMAL

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16 APR 2022 AT 23:13

ज़िंदगी में कुछ फ़रेबों के गिले भी थे
उल्फ़तों के क़ुर्बतों के सिलसिले भी थे

इक ही दिल पे आ रुका था दिल का कारवाँ
जबकि दिल पे जाँ-निसार क़ाफ़िले भी थे

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