The crowded hubbub ,
A tranquil seclusion.
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मैं कहानियां बुनती हूँ।
_ Anni Singh
Writing
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Happiness
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लोग अक्सर पूछा करते है मुझसे,
" तुम्हें लोगों से इश्क क्यों नहीं ? "
मैं हंस कर उनसे केह दिया करती हूँ,
"मुझे कहानियों के किरदारों से मोहब्बत कम है क्या?"
People often ask me,
"Why don't you connect with persons?"
Smiling I cross question them,
" Isn't my bond with all those books ample?"
लोग अक्सर पूछा करते है मुझसे,
"तुम लोगो से कुछ बताया क्यों नहीं करती?"
मैं मुस्कुरा उनसे केह दिया करती हूँ,
"मेरी डायरी मेरे राज कम है क्या?"
People often ask me,
"Don't you feel lonely without crowd?"
Tenderly I query back to them,
"Aren't tales full of gaggles?"
_ Anni Singh
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वो बार बार तेरे चले जाने की याद ,
क्यों नहीं भाता है मुझे अतीत के सुरंग से उन बातों का आना ?
खुशियों का संगीत भी तो था तेरे साथ,
क्यों इस सुरंग से आता है सिर्फ ग़मों का अफसाना?
किश्ती को तूफ़ान में उतारने का फैसला दोनों का था,
क्यों मेरे ही नसीब आया यूँ डूब जाना?
तेरे आने से पहले लहरों सी बहा करती थी मैं,
क्यों तेरा जाना सीखा गया मुझे ठेहेर जाना ?
आखिर ये अतीत समझता क्यों नहीं ?
मुझे नहीं आता रास इसके सुरंग से उन यादों का वापस आना ।।
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YOURSELF.
And now that you don't have to be perfect,
You can be Imperfectly , Magnificently & Awfully PERKY.-
गलतफहमियों से जो चल रहा है
ये इश्क़ यूँही चलने दो ,
कहीं गलाफ़हमियों के साथ
हमारा ताल्लुकात भी रुक ना जाये ।
आँखे बंद करके मोहब्त है
बन्द आँखों को खोलने की ज़िद रहने दो ,
कहीं आँखों के साथ रिश्ते का बंधन भी खुल ना जाये ।
जब बोलते हो तुम चुप रहती हूँ मैं
मुझे बकायदा चुप रहने दो ,
कहीं इस ज़ुबाँ के साथ सारे बन्द राज भी खुल न जाये।
जानती हूँ मैं गलतफहमियों से ही चल रहा है ,
मगर ये इश्क़ हमारा यूँही चलने दो ।।
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Twilight is pitching up,
And the Pain echoes !
Leading me bit by bit to the darkness you see
I am turning the sides,
the way I try to turn back from the path that approaches you .
And time after time my bids are
Waning like the moon.
It's forenoon !
I can't see the moon now,
Neither my melancholic self...
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दर्द गूँजता रहता है,
मेरी रूह चीखती रहती है।
घाव भरते रहते है,
चोट लगती रहती है।
दिल तेरे इश्क़ में खुद को खोजता रहता है,
तेरी आँखे उसकी राह ताकती रहती है।
पैर ठेहरे रहते है, पर
मेरी साँसे चलती रहती है।
गम नहीं के होंठ सिले रहते है,
क्योंकि ये स्याही बोलती रहती है।
शायद तूने कभी सुना नहीं !
मगर दर्द गूँजता रहता है, और
मेरी रूह चीखती रहती है।-
ऐसी हसरतें थी भी नहीं,
पर
क्या अश्कों के शब्द भी सुनाई ना पड़े होंगे उसे?-