बहुत दिनों बाद आज मेरी कलम चली है।जो छिप सी गई थी वो हंसी खिली है।लोगों के यहां तो दीवाली के दिये रौशन हुए।मेरे मन में तो रंगों की होली चली है। - Sprouty
बहुत दिनों बाद आज मेरी कलम चली है।जो छिप सी गई थी वो हंसी खिली है।लोगों के यहां तो दीवाली के दिये रौशन हुए।मेरे मन में तो रंगों की होली चली है।
- Sprouty