29 OCT 2017 AT 1:28

बहुत दिनों बाद आज मेरी कलम चली है।
जो छिप सी गई थी वो हंसी खिली है।
लोगों के यहां तो दीवाली के दिये रौशन हुए।
मेरे मन में तो रंगों की होली चली है।

- Sprouty