Ham Jee Rahe Hai
Koi Bahaane Kiye bagair
Uske Bagair unki Tamanna kiye Bagair
Hisaab Barabar rahe
Ab koi gam Nahi
Hamaare pass tum Nahi
tmhare pass ham nahi.....
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⚫📇Poet📇
⚫📝Writer📝
⚫🎓Engineer🎓
बदलते वक़्त केे बदलते किस्से हैं....
वक़्त केे संग बदलते सपने हैं....
उन सपनो संग बदलते अपने हैं...
फिर भी बीते लम्हों केे
अपनी ही कुछ किस्से हैं....
ग़म थे जीनमे लिखे,
वो आज भी मेरे हिस्से हैं....-
सफ़़र कल भी था
सफ़र आज भी जारी है
माना कुछ उम्मीदें टूटी है
लेकिन कुछ ख्वाहिशें अभी भी बाक़ी है !-
बैसे तो समेटा है मैंने खुद को हर रोज़़ ..
अब अगर वक्त ही बिखेरने
'पर तुला है तो बुराई क्या है-
आए देखा मुझे हँसे और फिर
चल दिए कुछ कहा सुना हो नहीं
उस से नजरे मिलीं थीं पल भर को
दिल कहाँ खो गया पता ही नहीं
मैं नजर में बसी हूँ मान भी लो
आइना झूट बोलता ही नहीं
उस को जिद है कि अब नहीं मिलना
दिल है पागल के मानता ही नहीं
रात इक अजनबी मिला या वफा
नींद फिर क्या हुई पता ही नहीं।।-
थका-थका सा लगते हो
आखों मे कयी शदियों की निदें जगी सी है
फासलों की धुल पलकों पर संजोये जी रहे है
नाजानें कैसी वक्तों को गुजारी है
दर्दों का काफिला साथ लिये आ रहे हो।।
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यादों की कश्ती पर
जिदंगी की भागा दौरी मे
बातों के सागर मे
हर लम्हा बीतें सबका
बस उम्मीदों के साजिशों में।।।
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तेरी यादों की हल्की-सी परछाई रह गई.,
कलम थमी तो बस एक तन्हाई रह गईं।
जो लफ्ज़ कभी तुझसे मिलकर जिया करते थे,
अब उन लफ़्ज़ों में भी बस रुसवाई रह गई।।।-
हौले हौले से निकल रहीं हैं ये.
बंद मुठ्ठी से भी फिसल रहीं हैं
बिल्कुल वक्त की तरह गुजर रहीं है
ये भला कब, कहां ठहरी हैं ये.
"ज़िंदगी" अब।।।-
खामोश रहता हु मैं आजकल,
तेरे बगैर जीना मुश्किल सा लगता है आजकल
तेरे बिना सब फीका फीका सा है आजकल
बेहोशी में बीते हर लम्हा आजकल
मदहोशी से न पूछे कैसा है वो आजकल
एक तेरे जाने के ग़म से बस रोता रहता हूं आजकल
सच कहूं तो ,
मुझे बस तू चाहिए और कुछ न चाहूं मैं आजकल।।।।।-