Ankit Singh   (Ankit Singh)
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I can analyze the concept of designing itself
⚫📇Poet📇
⚫📝Writer📝
⚫🎓Engineer🎓
Joined 15 March 2018


I can analyze the concept of designing itself
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Joined 15 March 2018
9 MAY AT 22:37

यादों की कश्ती पर
जिदंगी की भागा दौरी मे
बातों के सागर मे
हर लम्हा बीतें सबका
बस उम्मीदों के साजिशों में।।।

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6 MAY AT 23:12

तेरी यादों की हल्की-सी परछाई रह गई.,
कलम थमी तो बस एक तन्हाई रह गईं।
जो लफ्ज़ कभी तुझसे मिलकर जिया करते थे,
अब उन लफ़्ज़ों में भी बस रुसवाई रह गई।।।

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6 MAY AT 23:08

हौले हौले से निकल रहीं हैं ये.
बंद मुठ्ठी से भी फिसल रहीं हैं
बिल्कुल वक्त की तरह गुजर रहीं है
ये भला कब, कहां ठहरी हैं ये.
"ज़िंदगी" अब।।।

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2 MAY AT 17:13

खामोश रहता हु मैं आजकल,
तेरे बगैर जीना मुश्किल सा लगता है आजकल
तेरे बिना सब फीका फीका सा है आजकल
बेहोशी में बीते हर लम्हा आजकल
मदहोशी से न पूछे कैसा है वो आजकल
एक तेरे जाने के ग़म से बस रोता रहता हूं आजकल
सच कहूं तो ,
मुझे बस तू चाहिए और कुछ न चाहूं मैं आजकल।।।।।

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30 APR AT 10:54

Tere pass toh sahaare hai kaiii
Mere pass toh me bhi nahi...

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28 APR AT 19:20

चुप था वक़्त
मगर दिल की सदा कह रही थी,
हर मोड़ पर तन्हाई
मेरी गवाही देरही थी।
ना जुबां बोले,
ना ऑँखों से कुछ कहा जाए,
परिस्थिति गवाॉह है,
जो हर सच को दिखाए।
सच छुपाया नहीं मैंने,
बस हालात ने ढक दिया।
दिल टूटा तो आवाज़ नहीं आई,
परिस्थिति ने सब बयाँ कर दिया।।

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28 APR AT 17:05

प्यास लगी थी गजब की. मगर पानी मे जहर था.
पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.
बस यही दो मसले, जिंदगी भर ना हल हुए.!

ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए,ना तु मिला
वक्त ने कहा....
काश थोड़ा और सब्र होता.!
संब्र ने कहा.
काश थोड़ा और वक्त होता.!

"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप डसलिये हूं कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता.

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22 APR AT 11:56

हाँ अकेले चल रहा हूँ हौसला है हमसफ़र,
अब मुझे ये देखना दुनिया में कितना है ज़हर
मै तो बंजर हुई ज़मीन को फिर से हरा कर जाऊगा
बस नफ़रतों की आग में जल जाए ना तेरा शहर।।

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21 APR AT 21:14

जब उनमे हम हम ना रहे
जब उनमे हमारा प्यार न रहा।।

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21 APR AT 20:37

फिर इक नई ख़लिश की शुरूआ'त हो गई
दिल ने जो सोचा न था वही बात हो गई

क्या मेरी उन की बात हुई ये न पूछिए
अब क्या बताऊँ जो न होनी थी वहीं बात हो गई

वो गुस्से में एक नज़र मुझको देखा
फिर क्या मेरे जिंदगी वही बेहाल होगई।

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