Ankit Dwivedi A-key   (अंकित द्विवेदी "अनल")
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Joined 28 August 2017


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21 JUN 2020 AT 20:11

सर पर बिंदियां , कानों में झुमके कमाल लगते हैं।
आप, आपकी बातें और आपकी सादगी में आप एकदम बेमिसाल लगते हैं।।

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21 JUN 2020 AT 20:02

यूँ रंगत बदल कर न जाने मौसम क्या क्या रंग दिखाएगा।
ये मौसम जितना हसीन होगा उतना ही तेरी याद दिलाएगा।।

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10 MAY 2019 AT 5:54

तू अपनी शान-ओ-शौकत और दौलत को सम्हाल ।

मेरे घर में एक माँ है,
मुझे उसकी जिम्मेदारी सम्हालनी है।।

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10 MAY 2019 AT 5:29

बदल रहा हूँ अपनी उसूल-ए-जिंदगी ।
जो सह सके सहे , वरना ख़ामोश रहे।।

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9 MAY 2019 AT 20:25

मेरी कलम ने भी रख लिया है रोज़ा ।
ज़िद्दी बहुत है न कहती है ,
चाँद के सिवा कुछ लिखेगी ही नहीं ।।

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8 MAY 2019 AT 8:09

समझ कर वक़्त की नज़ाकत तू उठ जा अब ।
न रात देख , न देख दिन चल लक्ष्य की ओर आ जा अब ।
न हो भयभीत अब अपने परिमाण से तूँ ।
उठा ले कदम , बढ़ा हौसले , दिखा दे दम न रुक जा अब ।।

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22 MAR 2019 AT 20:32

वो ज़माने बीत गए जब हम सब अच्छे थे।
न रंजिश थी , न चिंता थी , न धर्म और न जाति थी,
कुछ लोगों से सुना है कि तब शायद हम बच्चे थे।।

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22 MAR 2019 AT 20:28

आज अपनी सूखी कलम को ,
फिर से स्याही दिला रहा हूं मैं।

इस होली अपने गालों पर केसरी और ,
हरा दोनों रंग हँसते हुए मिला रहा हूँ मैं।।

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1 MAR 2019 AT 8:53

गर कला है तुममे तो ज़माने को दिखाओ।
वरना यूँ ही बेनाम भीड़ का हिस्सा बनकर रह जाओ।।

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28 FEB 2019 AT 8:19

मुस्कुराकर तो देखो बिना वजह ज़माने में।
ज़माना वजह खोजने न निकल जाए तो कहना।।

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