मंदिर-मस्ज़िद तुम बाद में बना लेना,
पहले खुद को तुम इन्सान बना लेना,
जो तुम थक गए हो लड़-झगड़ कर,
अब तुम मिलो तो गले से लगा लेना,
ज़िन्दगी नफ़रत में गुजारी सारी की सारी,
बच्चों को तुम अपने मोहब्बत सिखा देना,
एक तस्वीर जो मैं रोज बनाता हूँ,
मैं,तुम्हें और मुझे 'हम' बनाता हूँ,
एक काम बस ये कर देना,
इस तस्वीर को तुम हक़ीक़त बना देना,
मंदिर-मस्ज़िद तुम बाद में बना लेना,
पहले खुद को तुम इन्सान बना लेना...
-