किसी के हृदय तक
आते–आते,
हम उतर आते हैं
कभी कविताओं
की पंक्तियों में,
तो कभी किसी
के बनाए चित्रों में।-
🌱 पूर्णता की राहों में, मिट्टी का कण हूँ मैं।
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एक समय ऐसा आता है
जब हमारी खामोशी
बातें करती हैं
और हम
बस लिखा करते हैं।
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कितनी खोखली क्यों न हो
किसी कलाकार की दुनिया,
जितनी बैरंग और सूनी सी
उसकी जिंदगी,
उतने ही आकर्षक रंग
और शब्द वो रचनाओं में भरता है,
भले ही घुट–घुटकर जिए
कोई रचयिता,
पर अपनी एक–एक सांस
से वो रचनाओं को अमर करता है।-
जमीं को
आसमां से,
आसमां को
जमीं से
बेहद प्रेम है
पर उनकी मर्यादाएं हैं
दोनों को
वो जहाँ हैं
वहीं से
एक–दूसरे को
प्रेम करना होगा।-
मेरी कविताएं
सदैव सुंदर
अभिव्यक्ति का
प्रतीक कहाँ है?
कई बार
ये मेरी कायरता
की निशानी है,
बहुत कुछ था
और अभी भी मन में,
जिसे प्रत्यक्ष कहना
और बयां करना
अक्सर डराता है मुझे,
मेरी ये कविताऐं
इसी डर के पीछे
की कहानी है।-
तुम्हारी परिधि में
सीमित जमीं मैं,
संजोए मैनें
तुम्हारे पैरों के निशान,
तुम्हारे सपनों
और आकांक्षाओं
से तो नहीं जुड़ा मैं,
न ही बन सकूं
मैं तुम्हारा आसमां,
पर जब भी
रखोगे कदम तुम नीचे
तब बन जाऊं
तुम्हारा महफूज स्थान।
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जितनी सांसे
स्याही सींच सकें
उतना जीवन पर्याप्त है,
सुनने – सुनाने को
कोई हो
या न हो जीवन में,
कलम और कागज
हो बस हाथ में,
इनसे गहरा न
कोई साथ है।-
चंद्रमा के आकार सा ही
घटना – बढ़ना होता हमारा
लोगों के हृदय में,
जैसे – जैसे बढ़ती रोशनी
निखरती सुंदरता हमारी,
वैसे ही लोग
हमें हृदय में बसाते हैं,
जैसे – जैसे घटती रोशनी
और होते धुंधले से
लोग हमें भूल जाते हैं,
यूं तो इसकी सुंदरता में
लिखी जाती हैं कविताएं कई,
पर ग्रहण के समय
होता है जो कष्ट इसे,
उस कष्ट का भी
लोग जश्न मनाते हैं।-
सागर ने कब ली है
नदी की खबर,
नदी को ही
सागर तक
जाना होता है,
पहाड़ों से गिरते हुए
वनों से,
प्रदूषित शहरों से
बचते–बचाते
सहकर कितना कुछ
उसे बस बहते
जाना होता है,
मन में भरा होता
नदी के समर्पण
उसे तो बस सागर
से मिलने के खातिर
लंबा सफर तय
कर जाना होता है।-
मैं सहेज सकूं
तुम्हारे अरमां,
इसलिए हमेशा,
बचाए रखना चाहूं
मैं तुम्हारा आसमां।
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