Anand Kanaujiya   (अनुनादित आनन्द)
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Joined 7 January 2019


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Joined 7 January 2019
24 APR AT 16:37

अब लौटकर खुद को देखने की हिम्मत नहीं होती
उम्र तो बढ़ती है मगर ज़िन्दगी में बढ़त नहीं होती
एक चेहरा देखा था जेहेन में अभी भी ताजा है लेकिन
यादों को कुरेदने से कहानियाँ मुकम्मल नहीं होती ।

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4 AUG 2024 AT 10:36

मेरी कोई खता नहीं …
तुम मिलने आये भी तो साड़ी में ।

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3 AUG 2024 AT 21:27

……..और अन्ततः जिसे तुम सुख समझ रहे थे वो ज़िम्मेदारियों के बोझ के सिवा कुछ नहीं ।

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3 AUG 2024 AT 11:49

तुम मेरा सुकून हो ।

चाहते तो बहुत हैं तुम्हें,
पर
तुम मिलते नहीं हो !

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29 JUN 2024 AT 10:23

वो भी क्या दिन थे….
तुम्हारे बिगाड़े हुए
और
तुम्हीं से बने हुए !
वो भी क्या दिन थे।

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7 MAY 2024 AT 7:46

आज के दौर में, नहीं, किसी भी दौर में सत्य से बड़ा humour दूसरा कुछ भी नहीं है ।

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28 APR 2024 AT 9:04

मैंने नशे करके भी देख लिये ऐ दिलरुबा,
ये कदम लड़खड़ाए तो बस तेरे नाम पर ।

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28 APR 2024 AT 8:58

ग़र चाहते हो आनन्द मंज़िल पर पहुँचना,
मंज़िल से ज़्यादा रास्तों का ध्यान रखना।

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5 MAR 2023 AT 0:35

सड़क सी है ये ज़िंदगी अपनी
न जाने कितनों से वास्ता आज तक !
गुजरती भीड़ हज़ारों की मगर
सड़क फिर भी तनहा है आज तक !

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10 DEC 2022 AT 10:42

तुझे हमसफ़र बना सकूँ इसलिए ताउम्र सफ़र में रहा,
मैं अपने शहर में भी देखो एक मुसाफ़िर की तरह रहा।

©️®️मुसाफ़िर/अनुनाद/आनन्द/०९.१२.२०२२

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