होने थे जितने खेल वो मुक़द्दर के हो गए,वो किसी और के तो हम भी किसी और के हो गए। - ✍©अमित कुमार माँझी
होने थे जितने खेल वो मुक़द्दर के हो गए,वो किसी और के तो हम भी किसी और के हो गए।
- ✍©अमित कुमार माँझी