टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी,
अन्तः को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी,
हार नहीं मानूँगा,
रार नयी ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।- Amit Gupta
25 DEC 2019 AT 15:34
टूटे हुए सपने की सुने कौन सिसकी,
अन्तः को चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी,
हार नहीं मानूँगा,
रार नयी ठानूंगा,
काल के कपाल पर लिखता मिटाता हूँ।
गीत नया गाता हूँ।- Amit Gupta