तू मधुघट है, मैं छोटा सा प्याला
मैं राही, तू मधुशाला
सुध में रहूं तो चोरी चोरी तेरे पास भटकता हूं
बेसुध रहूं जो मैं, झट से तेरी गोदी में आ गिरता हूं
सुख में रहूं तो जश्न मनाने तेरे दर पे आता हूं
दुख में रहूं तो गम मिटाने तुझको गले लगाता हूं
जिसे पीकर हो तृप्त मनुज, तू उस मधु का भंडारा
तू मधुघट है, मैं छोटा सा प्याला
मैं राही, तू मधुशाला
पीना शुरू किया कब कैसे याद नहीं मुझको है अब
मैं तो जानूं प्याला और प्याले में है आनंद गजब
दुनिया वाले जाने दुनिया, मेरी दुनिया तू है अब
मदहोश हूं क्या मैं ? चहुओर, दिखे मुझको तू ही अब
लोग कहें नशा जिसको, प्रेम कहे पीनेवाला
तू मधुघट है, मैं छोटा सा प्याला
मैं राही, तू मधुशाला
धीरे धीरे पड़ रही लत, स्वप्न है आदी हो जाऊं
डूबूं जाम में इतना मैं, पड़े पड़े छलक जाऊं
भक्ति, प्रेम, सुख, शांति, जीवन, सब कुछ मैं तुमसे पाऊं
भटकूं मैं कितना भी, वापस तेरे पास ही मैं आऊं
मंदिर, मस्जिद, गिरिजा तू ही, तू ही मेरा गुरुद्वारा
तू मधुघट है, मैं छोटा सा प्याला
मैं राही, तू मधुशाला
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