बच्चों की लड़ाई में दांव पर लगती है मिठाईयाॅं जब चारागर हो जाए असहाय तो माॅं दांव पर लगा देती है भक्ती जो आए सवाल व्यापार का तो पैसों के दम पर निभ जाता है पर प्रेम? जब बात प्रेम की हो तब स्वयं ईश्वर पर लग जाता है प्रश्न चिन्ह! और उस प्रश्न चिन्ह को मिटाने के लिए प्रेमी के अश्रु के सिवा दुनिया में कुछ भी नहीं
ईश्वर करे हर प्रेमी के पलकन पर आए हर अश्रु का बूंद प्रेम को बचाते हुए ईश्वर के अस्तित्व को सिद्ध कर सके !
किसी साधु के कमंडल का जल या दो अंजुरी के बीच बंधे हुए अक्षत के कुछ दाने किसी द्वार पर चावल से भरे लोटे को तुम्हारे पैरों का स्पर्श या कि दुपट्टे की कोर से बांधा गया जीवन का डोर इन सब चीज़ों से कहीं ज़्यादा पवित्र था तुम्हारी मांग पर मेरा एक ईश्वरीय चुंबन !
तुम्हें मुझे छोड़ना चाहिए था जैसे एक तारा छोड़ता है आकाश को पर तुमने ऐसे छोड़ा जैसे दिसंबर के महीने में सूरज छोड़ता है धरती को धीमे-धीमे सिहरन की गोद में
एक बार छोड़ने में तुमने मुझे कई बार छोड़ा है!— % &
राधे - मेरे हर सवाल का तुम्हारे पास यही जवाब है, अगले जनम में! मैं - हाॅं राधे - फिर हम इस जनम में क्यूॅं मिले ? मैं - वक़्त से बलवान कोई नहीं राधे, वक़्त से दो-दो हाथ नहीं करते राधे - ये वक़्त हमारा नहीं ? मैं - वक़्त हमारा ही है, हमारे परीक्षण का है राधे - क्या होगा इस परीक्षण से ? मैं - परीक्षण के बाद वक़्त को हमें मिलाना होगा बिना किसी रुकावट के राधे - आख़िर कब ? मैं - अगले जनम में!— % &