Awadhesh Kumar   (डॉ० प्रो० ए० के० शैलज)
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Joined 15 February 2018


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Joined 15 February 2018
10 JAN 2023 AT 9:24

विचारों से होने वाले रोग :-

१. क्रोध और तनाव से सरदर्द एवं बुखार.
२. चिड़चिड़ापन से गला का कष्ट.
३. घबड़ाहट से धड़कन की शिकायत.
४. गरीबी की चिन्ता से निम्न रक्तचाप.
५. सुरक्षा के भय से उच्च रक्तचाप.
६. बन्धन में रहने की मजबूरी, चिन्ता या भय से लकवा.
७. घृणा से उदर या पेट के विकार या रोग या गड़बड़ी.
८. अनियमित जीवन शैली से मनो-शारीरिक परेशानी.
९. आत्म-पीड़न या पर-पीड़न रति या प्रपंच से कैन्सर.

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय.
होमियोपैथिक, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिर्विद, रेकी मास्टर.

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10 JAN 2023 AT 8:59

विचारों से होने वाले रोग :-

१. क्रोध और तनाव से सरदर्द एवं बुखार.
२. चिड़चिड़ापन से गला का कष्ट.
३. घबड़ाहट से धड़कन की शिकायत.
४. गरीबी की चिन्ता से निम्न रक्तचाप.
५. सुरक्षा के भय से उच्च रक्तचाप.
६. बन्धन में रहने की मजबूरी, चिन्ता या भय से लकवा.
७. घृणा से उदर या पेट के विकार या रोग या गड़बड़ी.
८. अनियमित जीवन शैली से मनो-शारीरिक परेशानी.
९. आत्म-पीड़न या पर-पीड़न रति या प्रपंच से कैन्सर.

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय.
होमियोपैथिक, मनोवैज्ञानिक, ज्योतिर्विद, रेकी मास्टर.

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1 DEC 2022 AT 7:16

जब-जब मैं माँ के गर्भ से बाहर आया तो कभी सिर, कभी पैर तो कभी हाथ पहले बाहर आये तथा हर बार खाली हाथ आये और गये, केवल अहंकार रहा।

Whenever I came out of mother's womb, never came out before head, sometimes feet, hands, and empty hands came and gone every time, there was only ego.

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31 OCT 2022 AT 10:00

यह सच है कि लौकिक और पारलौकिक जगत सम्बन्धी किसी भी कार्य या व्यवहार के सन्दर्भ में हमारे भाव व्यवहार से तुलनात्मक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन उपयुक्त व्यवहार हमारे भाव के साथ अपेक्षित हैं।
अतः किसी भी कार्य के सम्पादन हेतु "मनसा-वाचा-कर्मणा" कर्म अपेक्षित है। आध्यात्मिक सिद्धि मानसिक एवं आत्मिक भावनाओं से, व्यवहारिक सिद्धि वचन से तथा भौतिक सिद्धि करणीय कर्मों के विधिवत् सम्पादन से होती है।
हमें अपनी संस्कृति की रक्षा के सन्दर्भ में भी इन बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
शुभमस्तु।
विश्व के जन -जन को सूर्योपासना छठ पूजा की हार्दिक शुभकामना ।

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31 OCT 2022 AT 9:01

यह सच है कि लौकिक और पारलौकिक जगत सम्बन्धी किसी भी कार्य या व्यवहार के सन्दर्भ में हमारे भाव व्यवहार से तुलनात्मक रूप से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन उपयुक्त व्यवहार हमारे भाव के साथ अपेक्षित हैं।
अतः किसी भी कार्य के सम्पादन हेतु "मनसा-वाचा-कर्मणा" कर्म अपेक्षित है। आध्यात्मिक सिद्धि मानसिक एवं आत्मिक भावनाओं से, व्यवहारिक सिद्धि वचन से तथा भौतिक सिद्धि करणीय कर्मों के विधिवत् सम्पादन से होती है।
हमें अपनी संस्कृति की रक्षा के सन्दर्भ में भी इन बातों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
शुभमस्तु।
विश्व के जन -जन को सूर्योपासना छठ पूजा की हार्दिक शुभकामना ।

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23 OCT 2022 AT 16:28

बन्धु वर ! (देवियों एवं सज्जनों),
दीपावली एवं धनतेरस के शुभ अवसर पर GroMo के मेरे रेफरल कोड PGXC8389 के लिंक के माध्यम से भारत के मान्यता प्राप्त बैंकों एवं बीमा कंपनियों से जुड़ कर या लोगों को जीरो बाईलैन्स पर भी खाता खुलवा कर या बीमा के लाभ हेतु प्रेरित या प्रोत्साहित कर घर बैठे पर्याप्त पैसा कमावें ।
सभी बन्धुवर ! (देवियों एवं सज्जनों) को दीपावली एवं धनतेरस की शुभकामना।

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8 OCT 2022 AT 18:43

In fact, in the name of nationalism, selfish and self- development of any individual, party, community, institution, organization, nation or ideology cannot be called constructive nationalism.

Dr. Prof. Awadhesh Kumar Shailaj, Pachamba, Begusarai.

वास्तव में राष्ट्रवाद के नाम पर किसी व्यक्ति, दल, समुदाय, संस्था, संगठन, राष्ट्र या विचारधारा का स्वार्थ पूर्ण और केवल अपना विकास रचनात्मक राष्ट्रवाद नहीं कहला सकता है।

डॉ० प्रो० अवधेश कुमार शैलज, पचम्बा, बेगूसराय।

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28 SEP 2022 AT 9:24

Efforts made to achieve your goal are fruitful.
In order to get bread from the mouth of the crow who spoke bitter, the cunning fox praised him falsely and said that my dear dear crow brother, how good are you ? Please ! Leave your original nature and hear me sweet voice. The crow did not swell on hearing his bravado and lost his conscience, as a result, as soon as he opened his mouth to speak, the bread in his mouth fell down and the fox started eating bread and enjoying with his family and ancestors. The crow again started going around according to its nature. In the affair of cheap popularity, by not treating the country, time and character with due consideration, a situation arises like a crow. Therefore, keeping the living beings in view of their past experiences, establishing them in harmony with the country, time and circumstances, "Mahajano yen gataah, sa pantha.." In the light of this, one should always strive on a war footing with the utmost devotion and dedication, keeping in mind the arrangement of right resources on the voice of the divine inspired conscience, on the prescribed path to achieve one's goal.

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28 SEP 2022 AT 8:16

अपने लक्ष्य की प्राप्ति हेतु किया गया प्रयास फलदायी होता है।
कड़वी वाणी बोलने वाले कौवे के मुँह की रोटी पाने हेतु चालाक लोमड़ी ने उसकी झूठी प्रशंसा करते हुए कहा कि मेरे अनन्य प्रिय कौवा भाई तुम कितने अच्छे हो ? कृपया! अपनी मूल प्रकृति को छोड़कर मुझे मीठी वाणी सुना दो। कौवा अपनी बड़ाई सुनकर फूला नहीं समाया तथा वह अपना विवेक खो बैठा, फलस्वरूप बोलने के लिए जैसे ही मुँह खोला, उसके मुख की रोटी नीचे गिर गई और लोमड़ी रोटी लेकर खाने लगी एवं अपने परिजनों तथा पुरजनों के साथ आनन्द मनाने लगी। कौवा पुनः अपनी प्रकृति के अनुसार काँव-काँव करने लगा। सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में देश, काल एवं पात्र का सम्यक् विचार नहीं कर व्यवहार करने से कौवे की तरह ही फल भोगने की स्थिति उत्पन्न होती है। अतः प्राणियों को अपनी पूर्व अनुभूतियों को ध्यान में रखते हुए देश,काल एवं परिस्थितियों से सामञ्जस्य से स्थापित करते हुए "महाजनों येन गता:, स पन्था:।।" के आलोक में अपनी लक्ष्य प्राप्ति हेतु निर्धारित पथ पर युक्तिपूर्वक स्वविवेक से परमात्मा प्रेरित अन्तरात्मा की आवाज पर सम्यक् संसाधन की व्यवस्था को ध्यान में रखकर पूरे मनोयोग से यथासंभव अपनी कर्त्तव्यनिष्ठता के साथ युद्ध स्तर पर सर्वदा प्रयत्नशील रहना चाहिए।

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27 SEP 2022 AT 14:27

ज्योतिष में स्वोदय एवं भाव लग्न निर्धारण के आधार :-
स्वोदय मतानुसार मेषादि सभी लग्नों के मान या अवधि में भिन्नता रहती है, लेकिन भाव मतानुसार सभी लग्नों के मान बराबर होते हैं। पृथ्वी पर २४ घंटे का सावन दिन या अहोरात्र होता है। पृथ्वी इस अवधि में एक बार अपने अक्ष पर घूम जाती है, अतः पृथ्वी के किसी भी निश्चित विन्दु या स्थान के सामने खगोल स्थित नक्षत्र, तारे या राशि पुनः २४ घंटे के बाद ही सामने आता है, इसलिए सभी १२ राशियों का मान बराबर होगा क्योंकि सभी १२ राशियों का अंशादि मान स्वोदय लग्न मान के अनुसार भी ३० अंशों या डिग्री का ही माना जाता है‌, जबकि उन १२ राशियों का घंटादि मान परस्पर भिन्न बताया गया है। इस प्रकार स्वोदय लग्न के घंटादि तथा अंशादि मान में विसंगति पायी जाती है, लेकिन भाव लग्नों के हर राशियों अंशादि मान ३० हैं, तो घंटादि मान २ घंटे के हैं, महर्षि पराशर जी ने भी इस भाव लग्न को मान्यता दी है, फलस्वरूप भाव लग्न विसंगति रहित, वैध, विश्वसनीय और हर तरह से स्वीकार्य है‌। भाव लग्न को नहीं मानकर स्वोदय लग्न को मानने वाले को ज्योतिर्विद कमलाकर भट्ट ने लग्न विवेक में अन्धों के पीछे चलने वाले अन्धों से सम्बोधित किया है। अतः स्वोदय लग्न के स्थान पर भाव लग्न का ही सभी विद्वान ज्योतिर्विदों द्वारा गणित एवं फलित ज्योतिष या अन्य विधाओं में विश्व कल्याणार्थ उपयोग में लाना चाहिए।

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