तेरा मिलना ख्वाब था, ये ख्वाब, ख्वाब रह गया
लिख रहा हूं, मैं वो सब, जो होना बाकी रह गया
पेड़ की, छांव पर, बैठ कर, किये जो वादे
शीश मेरा गोद पर, रखना तुम्हारा रह गया
वो हवा जो, होठों से, टकराके तेरे, उड़ चली जब
उस हवा को चूमना, मेरा बाकी रह गया
देखा जब चेहरा वो तेरा, फिर नज़र आये वो पल
इश्क़ तुमसे कब से था, बस कहना बाकी रह गया
एक अधूरी ये कविता, पूछती, मुझसे है अब
जिनको पाना ख्वाब था, क्यों लिखना बाकी रह गया
हर दिन लिखा एक शब्द मैंने, याद में तुम्हारी अब तक
वेदना का गीत हूं, बस पढ़ना बाकी रह गया
करके तू श्रृंगार जब, आ रही थी, मंडप में
मांग पर सिंदूर भरना, मेरा बाकी रह गया
थामकर, उनकी उंगलियों को, सोचती होगी वो अब
मेरा आशिक शायर था, बस साजन बनना रह गया
बाहों पर, वो है उनकी, साँस मेरी तुम नही अब
भूल चुका हूं, चेहरा वो तेरा, बस नाम बाकी रह गया
है नहीं, मुझे लालसा, अब तुम्हारे प्रेम की
उस हसीना का, मेरी बाहों में आना रह गया
रुक्मणी बन चुकी, अर्धांगिनी, श्री कृष्ण की
इस ज़माने की जुबां पर, बस राधे कृष्ण रह गया
तेरा मिलना ख्वाब था, ये ख्वाब, ख्वाब रह गया
लिख रहा हूं, मैं वो सब, जो होना बाकी रह गया
Akshaypathak1001- Akshay Pathak
15 DEC 2019 AT 23:05