वो रोते रहे एक मुद्दत से,
ग़ालिब इश्क हो गया था उनको शिद्दत से।।
तजुर्बा मिला तब समझ आया उनको,
मौत लाख बेहतर थी मोहब्बत से।।-
आधी रात का समय हो,
खुला आसमां हो,
कुछ संगीत साथ हो,
एक सिगरेट हो,
और हो अधूरी जिंदगानी के सन्नाटो भरी आवाज।।
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महादेव के हाथों सौंपा है मैनें अपना रिश्ता कुछ ऐसे,
अब या तो "हम" निखरेंगे या तो "मैं" बिखरूंगा।।-
कुछ गलतियां अंजाने में होती है,
कुछ गलतियां जाने अंजाने में,
और कुछ गलतियां इंसान जान के करता है।।
अगर वो व्यक्ति आपका कोई चाहने वाला है,
तो इन तीनों गलतियों में फर्क समझिए,
उस इंसान की भावनाओं को समझिए।।
ठेस अगर आपके दिल पर है,
तो दुख उस व्यक्ति के हृदय में भी है।।
बड़ा दिल कर उस व्यक्ति को माफ करके देखिए।।-
सोचा आज वापस एक बार कलम उठाता हूं,
कुछ उनके बारे में लिखता हूं,
कुछ उनकी परछाई का चित्रण अपने ही शब्दों में करता हूं।।
रात बीत गई उन लफ्जों का विचार करते करते,
उनकी सादगी तक बयां करने वाले अल्फाज ना मिले।।-
ना जाने उनके मन में क्या है डर सताया,
ना जाने उनके हृदय में क्या है उलझने सारी।।
लोग प्रीत संग हैं होली खेले,
और हम यहां बेरंग जैसे पानी।।-
कुछ शांत से घाट हों,
मेरा तेरा साथ हो।।
मेरा कांधा और तेरा सर हो,
जैसे चांद नदी को चूम रहा हो।।-
सुनो चिड़िया,
हमेशा खिलखिलाती रहना,
हमेशा चहकती रहना।।
नन्हे-नन्हे ख्वाब बुनती रहना,
उनको सच बनाती रहना।।
उड़ान भरना अभी तो शुरू ही किया है,
आसमां नापना अभी बाकी है।।
कभी उम्मीद न छोड़ना, कभी हार न मानना।।
जो थक जाओ कभी, किसी आंगन में बैठ पानी पी लेना,
थोड़ा तुम चहक लेना, थोड़ा उस आंगन में बैठे बच्चों को चहका देना।।-
उनकी नादानी पर गुस्सा तो लाख़ आया,
हर बार की तरह गुस्सा होठों तक न आ पाया ।।-