जिसकी ख़्वाहिश करूँ मुझको वो नही मिलता,
समझ सके मुझको ऐसा कोई नही मिलता,
तेरी उदासी का सितम रहता है इस कदर,
हमारी बंजर हँसी से अब कोई फूल नही खिलता,
सहमा होगा, टूटा होगा, बिखरा होगा, हारा होगा,
यूं ही हर कोई क़ाग़ज पर नही सिमटता,
छोड़ गया जो मुझसे अहद-ए-वफ़ा करके,
उसे बताओ प्यार गलियों मे नही बिकता,
हर राज़ हर दर्द हमने बतायी हर बात उसको,
भूल गए हम कि तमाम उम्र कोई नही रूकता,
जो कहता था देखे बिना हाल बता दूँगा तुम्हारा,
मेरी शायरी पढ़कर भी उसको मेरा जख़्म नही दिखता,
मुझे रक़ीबों से नही सुनने किस्से तेरी बेवफ़ाई के,
तू ही बोल दे कि तू मुझसे मुहब्बत नही करता
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