ख्वाहिशों का आसमान उतना ही सुंदर है, जितना हकीकत की जमीन बंजर है | -
ख्वाहिशों का आसमान उतना ही सुंदर है, जितना हकीकत की जमीन बंजर है |
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हमदर्दी कहां मोहलत मे मिलती हैं जनाबदोस्त कमाये जाते है, कौन सुनता है यहाँ हाल ए गम जनाबदोस्त कमाये जाते है, याद करो तो पल मे गम भुला देते हैयाद करो तो पल मे हंसा लेते है | -
हमदर्दी कहां मोहलत मे मिलती हैं जनाबदोस्त कमाये जाते है, कौन सुनता है यहाँ हाल ए गम जनाबदोस्त कमाये जाते है, याद करो तो पल मे गम भुला देते हैयाद करो तो पल मे हंसा लेते है |
माना गलतियां गलत होती है, पर कुछ गलतियां अच्छी होती है| -
माना गलतियां गलत होती है, पर कुछ गलतियां अच्छी होती है|
कुदरत का करिश्मा भी क्या खुब है जालिम,मेरे अपने उसी कस्ती मे सवार हैजिसमें मेरे दुश्मन भी है। -
कुदरत का करिश्मा भी क्या खुब है जालिम,मेरे अपने उसी कस्ती मे सवार हैजिसमें मेरे दुश्मन भी है।
है रंजिशें गर जहन मेंतो फिर इश्क कहाँ,है शिकायत गर खुदा सेतो फिर जन्नत कहाँ । -
है रंजिशें गर जहन मेंतो फिर इश्क कहाँ,है शिकायत गर खुदा सेतो फिर जन्नत कहाँ ।
काश !कुछ पल के लिये तुम मै हो पाती,और मै तुम हो पाताशायद कुछ शिकायतें कम हो जाती। -
काश !कुछ पल के लिये तुम मै हो पाती,और मै तुम हो पाताशायद कुछ शिकायतें कम हो जाती।
ना मोहताज है यह लफ्जों की,ना पाबंद है बंदिशो की,दो पल कि हंँसी , दो पल कि बातेंयही कहानी हैं इस दोस्ती की। -
ना मोहताज है यह लफ्जों की,ना पाबंद है बंदिशो की,दो पल कि हंँसी , दो पल कि बातेंयही कहानी हैं इस दोस्ती की।
सुबह कि चाय सेबिस्कुट कि लडाई तकतुम बहुत याद आओगेठिठुरन मे तुम्हारे हाथ पकड़ने सेबारिश मे तुम्हारे छाता देने तकतुम बहुत याद आओगेआँखों के आँसू सेहँसी कि लडाई तकतुम बहुत याद आओगे। -
सुबह कि चाय सेबिस्कुट कि लडाई तकतुम बहुत याद आओगेठिठुरन मे तुम्हारे हाथ पकड़ने सेबारिश मे तुम्हारे छाता देने तकतुम बहुत याद आओगेआँखों के आँसू सेहँसी कि लडाई तकतुम बहुत याद आओगे।
आजकल ज़रा व्यस्त चल रहे है ज़नाबपहले किस्मत हमारी कहानी लिख रही थीअब हम किस्मत कि कहानी लिख रहे है। -
आजकल ज़रा व्यस्त चल रहे है ज़नाबपहले किस्मत हमारी कहानी लिख रही थीअब हम किस्मत कि कहानी लिख रहे है।
उसे पाने से पहले पढता था किताबेंउन चंद पंक्तियों से उसे रिझाने के लिए,उसे खोने के बाद पढता हुँ किताबेंउसकी यादों को , बिरह के एहसासों कोशब्दों से सजाने के लिए । -
उसे पाने से पहले पढता था किताबेंउन चंद पंक्तियों से उसे रिझाने के लिए,उसे खोने के बाद पढता हुँ किताबेंउसकी यादों को , बिरह के एहसासों कोशब्दों से सजाने के लिए ।