Adv Virendra Tomar   (Virendra tomar)
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Joined 26 April 2018


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12 HOURS AGO

अभी सुबह नहीं हुई थी और रात अपने पूरे कलेवर के साथ निद्रा में लीन थी। भोर के चार बजने वाले थे।मैंने बाहर आ कर देखा सितारों की महफ़िल अभी तक जमी हुई थी।
रात में हुई बारिश का पानी गेट के बाहर अभी तक भरा हुआ था। सहसा मुझे लगा कि बाहर लगी मेहंदी की झाड़ के पीछे और पीपल के पेड़ के नीचे कोई बैठा हुआ था ।
जब पत्तियों से मिलती हवा का शोर पक्षियों की चहचहाहट से मिल कर भोर की ध्वनि का आभास कराता है तब मेरे अन्तर में शून्यता और शान्ति का अनोखा अनुभव होता है और इसीलिए अक्सर मैं सुबह सवेरे पीपल के इस वृक्ष तक टहलने अवश्य जाता हूं। मेहंदी की बाढ तक पहुंच कर मैंने देखा कि फटे कपड़ो में लिपटा एक व्यक्ति सिमट कर बैठा हुआ था।
"तुम कौन हो और यहां क्या कर रहे हो?" मैंने पूंछा
"लेबर हूं साहब, पास के स्कूल में कन्स्ट्रक्शन हो रहा है वहीं काम करता हूं। बारिश से बचने के लिए मैं यही बैठ गया था।" उसने कहा

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YESTERDAY AT 4:26

In the rampant busy race of the day I searched a bit of comfort with intent to get relief from the hardships.
And the tasks allotted to seek a light of peace with happiness got to be lured in vain despite my efforts.
I was extremely astonished to find that in the flickering lights of hope a soft voice ran to reflect the happiness in my dreams as if it could have been Waiting for that.

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12 SEP AT 4:30

उमसभरी गर्मी और निखरी हुई धूप
टप टप बहते पसीने से भीगी हुई पलकों में
छुपी हुई ललक ।
सूरज के सातवें घोड़े की बागडोर संभाल कर
अन्तर की धधकती ज्वाला के जाजव्ल्य प्रकाश में
चमकती तेजोमय स्वप्न से अभिभूत हुई
मन में उठती उच्छृंखल महक,
अनेकों उठते गिरते विचारों में गड्ड-मड्ड हो जाती है
और फिर हौले से मन में प्रीति की अनोखी रीति का सानिध्य करा जाती है।



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11 SEP AT 4:49

Revolution fall out in the world when anguish for illegality, corruption and absurdity in the society do breach the limit of forbearance.
The most surprising thing is that those who make revolution for good cause are later indulged with the influence of avarice anger and crowdstrike persuasion to the same bad breath to which they took it on.

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10 SEP AT 4:58

क्रोध आता है
जब लाख समझाने के बाद भी कोई बात नहीं मानता।
क्रोध तब भी आता है जब किए गये प्रयास के सकारात्मक परिणाम नहीं प्राप्त होते।
क्रोध प्रसन्नता का दूसरा छोर है अतः लगातार कोशिश करते रहने से क्रोध प्रसन्नता में बदल जाता है। इसी प्रकार उदासीन अक्रिय और निष्क्रिय रहने से प्रसन्नता प्रभावित हो कर क्रोध में बदल जाती है।

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9 SEP AT 4:44

Doubt is the eclipse that makes relationships worse.
If there is something unworthy of your life it's not better for anyone else.
That's why be confident transparent and glitter like crystal pure with your fellow and others.

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8 SEP AT 5:27

कभी कभी वह सब याद आता है
जब खिलती और महकती वादियों में उभरते संगीत को झरनों ने सुना था।
सड़क के किनारे झूलती लताओं के सन्देशो के गूढ़ रहस्य मन में गूंजती आवाज में घुल मिल गये थे,
और पवन की तीव्रता पत्तियों की सरसराहट की आहट का अनुभव कर रही थी।
कभी कभी बादलों को यह भी याद आता है जब लताएं और फूल बरसते पानी से सराबोर हो गये थे।
आपको यह सब याद हो कि न याद हो लेकिन वादियों बादलों और पवन को आज भी सब याद है ।

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7 SEP AT 8:19

The world is not the help of you if you yourself couldn't find a way to resolve the problems. Unless you are not responding to the activities simple or complex you won't be able to live a life in harmony.

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6 SEP AT 10:14

जब किसी कार्य को पूरे मन से किया जाता है तब उस कार्य को करने में न केवल सफलता प्राप्त होती है बल्कि उस कार्य को करने में मिले अनुभव को समाज के साथ बांटने से समाज और मानवता का भी भला होता है।
इसलिए कोई भी कार्य हो चाहे वह व्यवसाय, व्यवहार अथवा सफलता के लिए किए जाने वाला कार्य हो अथवा किसी अन्य विषय से संबंधित कार्य हो बस उस कार्य को अपना समझ कर करने से हर वर्ग के लिए सफलता और कल्याण निश्चित हो जाते हैं।

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5 SEP AT 5:22

When I visited the office it was silent without a hub as most of my colleagues went to celebrate the following holiday and the others were busy in court.

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