Adv Virendra Tomar   (Virendra tomar)
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Joined 26 April 2018


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Joined 26 April 2018
14 HOURS AGO

ऐसे लोग कभी किसी के हितैषी नहीं हो सकते जो तुम्हारे सामने तुमसे अत्यधिक सहानुभूति प्रकट करें और अपनी संवेदना से बार बार केवल तुम्हारी दुखती रग को छेड़ने की कोशिश करें । सच्चे हितैषी और मित्र तो बिना किसी को बताये चुपचाप तुम्हारे रास्ते में पड़े नुकीले पत्थरों और अवरोधों को हटा कर चले जाते हैं।

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14 HOURS AGO

It's not so hot with temperatures raised but the drops of sweats are not ready to wait
And the rain lingers on the mountains to love the chimes of winds .
The dazzling sun travels around the world to inspect the extremety of humidity and rate
When the environment across the world is sultry and unkind.
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4 JUL AT 7:32

गांव के किनारे यह तालाब 5 किमी की परिधि में फैला हुआ था। गर्मी के मौसम में भी तालाब पानी से भरा रहता था ‌। गांव के बड़े बूढ़े बच्चे और महिलाएं दिन भर तालाब के पानी से अपनी दैनिक क्रियाओं को निपटाते रहते थे।
सुबेदार के घर के पास तालाब होने के कारण उसकी पत्नी मोहिनी और उसकी बेटी रूपाली पानी के पास ही काम करते देखे जाते थे।रूपाली के बचपन का दोस्त मनीष जब भी तालाब पर आता वह दोनों घण्टों बातें करते हंसी मजाक और ठिठोली भी हो जाती थी।
रूपाली की शादी हो चुकी थी। उसके पति सुखमय दिल्ली में काम करते थे लेकिन अक्सर आते जाते रहते थे।
आंधी रात का समय था । पानी तेज बरस रहा था तभी तालाब में छपाक छपाक की आवाज से कुत्ते भौंकने लगे। सुबेदार ने पानी में छलांग लगा दी और उसने तैरते हुए डूबती हुई महिला को बचा लिया। पास में एक पुरुष डूब रहा था जिसे वह नहीं बचा सका। रोशनी में आते ही उसने बेहोश पड़ी महिला जो रूपाली थी, को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। मनीष को नहीं बचाया जा सका ।उसका शव तालाब के किनारे पड़ा था । भारी भीड़ जमा हो जाने से लोग आपस में खुसुर फुसुर कर रहे थे।

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3 JUL AT 8:21

आज सुनीता का केस कोर्ट नम्बर 29 में 39 वें नंबर पर लगा था। वकीलों और कोर्ट के चक्कर काटते काटते उनको पूरे 2 साल गुजर गये थे । अधिकारियों और उनके आफिस के क्लर्कों का मुंह तो हमेशा खुला ही रहता था।
पति की अचानक म्रत्यु के बाद उस पर तो मानो पहाड़ टूट पड़ा था। बच्चों की शिक्षा और घर के खर्च में ही उसका सारा पैसा खर्च हो जाता था । उसने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था और वह काफी समझदार भी थी लेकिन ऐसी विपत्ति आ जाएगी भला किसने सोचा था। उसने अनुकंपा नियुक्ति का प्रार्थना पत्र सम्बन्धित अधिकारी को भी दिया था लेकिन चुपके से जेब गर्म किए बिना आजकल कोई बात कहां सम्भव हो पाती है। वह सोच रही थी कि आज शायद कोर्ट से कोई आर्डर हो जाए। अभी वह यह सोच ही रही थी कि तभी वकील साहब का फोन आया कि आज कोर्ट उठ गई है।अब तुम्हारा केस अगले हफ्ते इसी दिन आएगा । हां इस बार हम कोर्ट में केस मेंशन कर देंगे।

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2 JUL AT 4:47

बरसते बादल
धरती की प्यास बुझाने के लिए
जी जान लगा देते हैं।
प्यार की तरंगों से
भरी और उमड़ती लहरों में
खुशियों की बरसात कर देते हैं।
सोये पड़े जन जीवन की अलसाई
आंखों में चमक ला कर
सूनी पड़ी बगिया में सुन्दरता
और संगीत का विधान कर देते हैं।


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2 JUL AT 4:45

अगर तुम भूलना भी चाहो
हम तब भी याद आएंगे।
जब कभी भी मुड़ कर हमको
देखोगे
हम वही पर नजर आयेगें।।
वक्त के साध साथ बदलेगी
जिंदगी नये ठिकानो पर।
हम नहीं होगें वहाँ साथ तेरे
पर कहीं दूर आसमां में नजर
आयेगें।।
दुनिया जब जब सितम ढायेगी
और मौत के तराने बहा देगे
आसुओं को,
हम होगें वही दिल मे तेरे
पर किसी को नजर न आयेगें।।

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1 JUL AT 7:41

Deceit is the word that takes away all the trust deposed on slowly and gradually. Where deceit takes the charge there is neither friendship nor does any cordial relationship . Impact of fake behaviour amongst friends ruins friendship and relationship.

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1 JUL AT 7:38

पिछले दो दिनों से उसे बुखार था। उसने बस ऐसे ही मेडिकल स्टोर से दवा मंगवा ली थी। लेकिन आज राजन को बहुत भाग दौड़ करनी थी।आगरा से कानपुर तक भागम भाग थी और काम इतना कि सोचने से डर लगता था। उसकी नौकरी भी नहीं रही थी नहीं तो शायद वह ही कुछ काम करती ।
रह रह कर बुखार शरीर का ताप बढ़ा रहा ना लेकिन उसको इस ताप की तपिश तब अत्यधिक महसूस होने लगी जब उसने श्रिया को यह कहते सुना," हमारा आज तक का साथ था क्योंकि मैंने बता दिया था कि जब तक नौकरी तब तक साथ।"
प्यास से राजन का गला सूख रहा था। उसने सुबह आगरा से चलते समय एक बोतल पानी लिया था जो अब समाप्त हो चुका था। सड़क के किनारे बैठते ही उसको चक्कर आया और वह बेहोश हो कर वहीं गिर गया।

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30 JUN AT 7:35

सूरज के ढलते ही
रोशनी भी धीरे धीरे खोने लगती है।
और उसी समय चूल्हे की आग जठराग्नि को प्रदीप्त करके भूख की सहचरी बन कर उपहास उड़ाने लगती है ।
दिन के समय बीते पलों में मित्रता से जन्मे रिश्तों की कसक का एहसास कराते कराते
चुपके से ही सही अपने दिल की बात कह जाती है।

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30 JUN AT 7:34

Relationship has always been footed on tender grounds howsoever solid materials have you arranged to put while building it's base it would have to earn a crack unless not properly taken heed and care.

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