ADITI TIWARI   (Ada)
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Unsuljhi paheli
Joined 14 August 2018


Unsuljhi paheli
Joined 14 August 2018
6 FEB AT 0:26

इक अरसा लग गया हमें तुम्हें पाने में
अजीब है
तमाम उम्र भी निकाल दी मैंने कभी जहान भर के लोगों से लड़ते रहे तेरे लिए,
कभी तुझसे ही तेरे लिए लड़ते रहे
और
तुम ये कहते नहीं थके कि मेरी हर एक बात में तुम न थे ।।

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16 JAN AT 14:52

हर दफा खुद को समझाते रहे ...
की
खुद की बेगुनाही को भी गुनाह बताते रहे ...
यूं तो न जाने कौन कौन से मौसम आते जाते रहे ...
और हम पतझार के मौसम को बसंत बताते रहे ।।

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27 DEC 2024 AT 23:48

लोग कभी आपके लिबास को तोलेंगे
तो कभी आपके लिहाज़ की तोलेंगे
लोग कभी तोलेंगे आपकी वफ़ा
तो कभी उसी वफ़ा को क़रार झूठा करेंगे
जो उससे भी न हुआ मुनाफा उन्हें तो तोल देंगे आपकी इज्ज़त को भी
न मिली ठंडक उन्हें यह देख तो ज़लील कर आपकी आबरू की रूह को भी जाला डालेंगे
और तब भी सिर उठा खड़े हुए तो तोल देंगे गर्दन आपकी रस्सी के फंदे से
दम घुटते ही दफन कर कफ़न सहित दो गज जमीन में
एक दफा फिर तोलेंगे आपकी कब्र पर अफसोस जता के ,
तब पर भी जाते जवाते कहते जाएंगे ये इंसान बुरा नहीं था, इसके साथ बहुत बुरा हुआ ,शायद से इसके हालात बुरे थे।।

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13 OCT 2023 AT 16:57

दिन भर को दौड़ाते रहते थे मोहल्लों कि गालियों में..
अब उन गालियों में सन्नाटा सा रहता है...
कोई तो अल्फा ,गामा ,थीटा में व्यस्त है...
तो कोई अपने दुकान कि चवन्नी,अठन्नी को जोड़ने में व्यस्त है...
अब कहा किसी के पास वक्त है "दूरदर्शन" पर प्रसारित होने वाले "टिंबा रुचा","रंगोली" , "तेनालीराम" ,"बूझो तो जाने","मालगुडी डेज" जैसे अन्य कार्यक्रम के लिये ..
अब कौन लड़ता है टी.वी. के रिमोट के लिये ...
ना ही कोई साइकिल के टायर को गली में लकड़ी के डंडा से मारे के दौड़ता है..
ना ही कोई कंचे के पीछे चिल्लाता और झगड़ते है...
और अब ना माँ भी कहाँ कान पकड़ के डाट लगाती है...
ना ही पापा अब कंधों पर बच्चे को लिये मेला दिखाने ले कर जाते है...
ना कोई नानी ,दादी का पल्लू पकड़ के कहता है, "बुढ़े का बाल " खाना है...
आज कल तो सब घरों के अंदर स्मार्ट फोन और लैपटॉप में व्यस्त रहते है...
और जिन्होंने यह सब देखा और किया वो अपने बचपन को याद करके कंधे पर जिम्मेदारियों उठाये कहते चल रहे है,"वो भी क्या दिन थे"।।

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30 SEP 2023 AT 0:17

कभी कुछ ना मिले तो उसे ख़्वाब - ए - ख़्वाहिश में रहने दीजिये ...
क्यूँकी जो ख़्वाब - ए - हक़ीक़त हुये है, वो कभी मिसाल -ए - जिंदगी ना हुये ।।
~अदा

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28 SEP 2023 AT 10:59

तूझे मैं याद नहीं ये जरूरी नहीं मेरे लिये ...
मुझे तू याद मेरे लिये यही बहुत है...
नहीं जानना कि तूने मुझसे मोहब्बत कितनी कि...
जरूरी ये है कि मुझे तेरे लिये मोहब्बत अब भी बाकी बहुत है...
तेरी जिंदगी में भले मैं नहीं हूँ...
जरूरी ये है कि मेरी जिंदगी में तेरा किरदार अब भी ज़िन्दा है।।
~अदा

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27 SEP 2023 AT 14:53

शायरी बहुत सी है मेरे पास...
जिनके अल्फाजों में सिर्फ तुम्हारी बाते और यादें मिलेंगी....
हो दूर तो क्या हुआ...
मुझसे दूर हो कर भी सबसे ज़्यादा पास तू है मेरे।।
~अदा

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22 FEB 2023 AT 1:17

....

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16 DEC 2022 AT 15:19

जब भी कभी मेला लगता था...
दादी,नानी के पल्लू से एक आना या दो रुपये मिलते थे...
तो ऐसा लगता था जैसे पूरी दुनिया ख़रीद सकते है...
मुठ्ठी भीज लेते जोर से...
कि दुनिया गायब ना हो....

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14 DEC 2022 AT 12:22

कुछ नदियों को निरन्तर बहते रहना आवश्यक है...
क्यूँकि समंदर उनकी मंज़िल नहीं होता ...
क्यूँकि वो खुद एक विशाल पर्वतो की ऊचाईयों से गिरती है...
कभी झरना तो कभी ताल तो कभी खुद को नहर बनती जरूर है...
पर उसका जो अस्तित्त्व है वो कभी नहीं बदलता है...
कुछ नदियों को निरन्तर बहते रहना आवश्यक है।।

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