मैं आज भी वो हू़ं जो कल थी,आज भी चुप हूं जैसे तब थी
हां थोड़ी चेहरे पे खुशी कम है,आंखें भी कुछ नम है
पर आज भी उतनी सच्ची हूं जितनी तब थी
हां फर्क तो है उनमें और मुझमें
वो लफ्जो को तोलतें है, मैं बातों को मोलती हूं
वो दागो को ढूंढते है, मैं चांद को पूछती हूं
वो दुनियादार है, मैं ईमानदार हूं
पर,चलो इस बात से खुश हूं
तुम्हारे उच्च विचारों से मुक्त हूं।
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