22 JUN 2018 AT 0:56

शांत किसी कोने में ,
रहते तुम मौज में ।
फिर दस्तक दरवाजे पे ,
कुछ पल की सौगातें ,
और फिर लोग भूल जातें हैं ।
अक्सर लोग भूल जातें हैं ,
तुम्हारे वक़्त को चुरा कर ,
लम्हों को यादों में निचोड़ ,
फिर आदत पुरानी फितरत उनकी ,
और फिर लोग भूल जाते हैं ।
अक्सर लोग भूल जातें हैं ,
कि बेवक्त उनका आना जाना ,
भी ठीक नहीं हमें भी ,
फिर आदत लग जाती है ,
और फिर लोग भूल जातें हैं ।।




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