Adarsh Pandey  
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Joined 26 October 2017


Joined 26 October 2017
22 DEC 2021 AT 0:13

कभी भरपूर रोशनी में तो कभी गहरे अंधेरे में रहे
ताज्जुब हुआ जब जाना हम तो गलतफहमी में रहे 

हम उनके खास रहे भी कभी के कभी भी नहीं
वो चले गए यूं इस तरह के हम इसी उलझन में रहे 

इसलिए भी महफूज़ रह पाए इस दुनियादारी से
के हमेशा ही हम तो खुद में ही रहे खुद के ही रहे

सोचता हूँ क्या कोई सगा है भी जिसे मैंने कमाया हो 
वो हो भी कैसे हम तो खुद में ही रहे खुद के ही रहे 






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22 JUN 2021 AT 22:32




हां है मायूस ये मन
उतना भी नहीं पर है
धुँधली हो गई तस्वीर
मुझे चेहरा याद मगर है

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12 MAY 2021 AT 23:59

वैसे अकेलेपन के हिस्से में इसबार

वक़्त का एक बड़ा हिस्सा आया है ।

है मजेदार बात तो ये के किसी और से नहीं

खुद से ही मिलकर मेरा दिल बड़ा घबराया है ।

ऐसे तो एकांत की बड़ी चाह रहती थी मुझको,

जब मिला तो इस शब्द ने बस नफरत पाया है ।

जो कुछ कहना चाहे तो ये कहे के हां उड़ गई वो,

जहरीली हवा अब मौसम में बदलाव आया है ।

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8 JUL 2020 AT 14:02

मैंने सोचा के खो चुका हूं ,
वो हृदय
जो प्रेम करे ,
पर वो दिखा
जब तुझे देखा ,
कहीं गया नहीं था
छुपा हुआ था ,
शायद तेरे ही इंतज़ार में ।

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3 JUN 2020 AT 23:49

हाथी , गाय , घोड़ा , शेर , बाघ , भालू ,चीता , लकड़बग्घा , हिरण , कुत्ता , बिल्ली , बकरा ,मुर्गी , पक्षियाँ, केकड़ा , झींगा , मछलियाँ और सभी जीव पूछ रहे बता दो भैय्या आप हमें कैसे मारोगे तो चलेगा कैसे मारोगे तो नहीं चलेगा मतलब साफ - साफ सबको पता होना चाहिए ना कि ये लकीर है इसके इस पार रहे तो इंसानियत ज़िंदा है आपके अंदर और इसके उस पार गये तो फिर आप पाप के भागीदार हैं ।आप इंसान कहलाने के लायक कब नहीं रहेंगे ? क्या है मापदण्ड इंसानियत का ? ये काम करने से बिल्कुल नहीं रहेंगे ये काम करने से थोड़े रहेंगे थोड़े नहीं रहेंगे , क्या पाखंडी हैं न हम भी ?
तीर , तलवार , भाला ,हंसिया और अलग-अलग साधनों की सहायता से तो ये काम चल ही रहा शायद बीते एक ज़माने से पर हाँ इस बार फटने की आवाज तेज़ रही ज्यादा लोगों ने सुना कुछ तो इसे शाही शौक कहते रहे हैं, कुछ ईश्वर को खुश करने का माध्यम, कुछ जीवन के लिए ज़रूरी आहार , कुछ सन्तुलन बनाये रखने का तरीका , कुछ बेवजह सेक्सी लगा बोलकर लर देते हैं अब सबके अपने-अपने अंदाज हैं और अपने-अपने नाम हैं , हाँ भेदभाव भी है बाँट दिया है उनको भी अपने ज़रूरत के हिसाब से , खूबसूरती के हिसाब से , दिखने में मासूम है या नहीं इसे देख के तो दया नहीं आ रही इसके साथ ये काम गलत है इसके साथ यही काम चलेगा ।

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13 MAY 2020 AT 22:50

बातों-बातों में फिर से किसी फ़लाँ का ज़िक्र ,
यार उनकी बातें मतलब फ़लाँ ये तो फ़लाँ वो ,
अब वो अलां की कहानी लेकर बैठ जाएं के सोचा ,
पूछ ही लूँ इसबार उनसे के बताओ ना कब मिलेंगे ?
पर फिर वो उदास होकर शायद फोन रख दें,
या कहेंगे फ़लाँ दिनाँक को फ़लाँ जगह मिलेंगे ।






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8 MAY 2020 AT 1:09

आज मौत की खबरों से यूँ हैरान न हो ,
ये हर रोज़ की बात है, तू परेशान न हो ।

क्या करोगे तुम अगर हाथ में फोन न हो ,
दुआ करो के अगली पीढ़ी बेज़ुबान न हो ।

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7 MAY 2020 AT 23:40


मैंने सबसे पहले तुझमे तेरा शरीर देखा ,
जब बातें हुई हमारी तब तेरा मन देखा ।

धुंधला गये नज़ारे दूसरे जब तेरा नयन देखा ,
एक मेरा ही घर दिखा मुझको जब तेरा हृदय देखा ।

लोगों ने चाँद में ख्वाब देखा,मोहब्बत देखी,जीवन देखा,
तुझे चाँद की जरूरत नहीं तूने जी भर के आईना देखा ।

शरीर देखा, मन देखा, हृदय देखा, चाँद में क्या-क्या देखा ,
खोखला ढाँचा देखा सबने यारा एक तूने ही रूह देखा ।





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20 APR 2020 AT 13:13

वो लोग ज़हरीले और खतरनाक होते हैं बहुत ,
जिनके सारे जज्बात उनके पूर्ण नियंत्रण में है ।

वो किसी फ़िल्म को देख कल खूब रोई यारा ,
जिसे नहीं मतलब क्या नज़ारे मेरी आँखों में है ।

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20 APR 2020 AT 13:11

दफन हैं कई किस्से पुराने भी इसी जमीन में ,
दिक्कत तो हमें पहली मुहब्बत भुलाने में है ।

आसान है इस दौर में कहना दिल की बात ,
के मसला तो उन्हें यक़ीन दिलाने में है ।





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