हाथी , गाय , घोड़ा , शेर , बाघ , भालू ,चीता , लकड़बग्घा , हिरण , कुत्ता , बिल्ली , बकरा ,मुर्गी , पक्षियाँ, केकड़ा , झींगा , मछलियाँ और सभी जीव पूछ रहे बता दो भैय्या आप हमें कैसे मारोगे तो चलेगा कैसे मारोगे तो नहीं चलेगा मतलब साफ - साफ सबको पता होना चाहिए ना कि ये लकीर है इसके इस पार रहे तो इंसानियत ज़िंदा है आपके अंदर और इसके उस पार गये तो फिर आप पाप के भागीदार हैं ।आप इंसान कहलाने के लायक कब नहीं रहेंगे ? क्या है मापदण्ड इंसानियत का ? ये काम करने से बिल्कुल नहीं रहेंगे ये काम करने से थोड़े रहेंगे थोड़े नहीं रहेंगे , क्या पाखंडी हैं न हम भी ?
तीर , तलवार , भाला ,हंसिया और अलग-अलग साधनों की सहायता से तो ये काम चल ही रहा शायद बीते एक ज़माने से पर हाँ इस बार फटने की आवाज तेज़ रही ज्यादा लोगों ने सुना कुछ तो इसे शाही शौक कहते रहे हैं, कुछ ईश्वर को खुश करने का माध्यम, कुछ जीवन के लिए ज़रूरी आहार , कुछ सन्तुलन बनाये रखने का तरीका , कुछ बेवजह सेक्सी लगा बोलकर लर देते हैं अब सबके अपने-अपने अंदाज हैं और अपने-अपने नाम हैं , हाँ भेदभाव भी है बाँट दिया है उनको भी अपने ज़रूरत के हिसाब से , खूबसूरती के हिसाब से , दिखने में मासूम है या नहीं इसे देख के तो दया नहीं आ रही इसके साथ ये काम गलत है इसके साथ यही काम चलेगा ।
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