ABHISHEK YADAV   (Abhishek yadav)
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जिसे ज़माने ने ठुकराया उसे अल्फ़ाज़ों ने समेटा-Abhishek yadav
Joined 4 August 2019


जिसे ज़माने ने ठुकराया उसे अल्फ़ाज़ों ने समेटा-Abhishek yadav
Joined 4 August 2019
12 NOV 2023 AT 6:26

घर के साथ-साथ कचरा हमें मन से भी हटाना चाहिए।
घर के साथ -साथ एक दिया अंतर्मन में भी जलाना चाहिए।।

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27 APR 2022 AT 19:31

इससे पहले की ज़िन्दगी तमाशा हो जाए।
सोचता हूं कि दुश्मनों से हाथ मिलाकर रखा जाए।।

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18 MAR 2022 AT 3:02

प्यास दरस की अखियन बैठी
रंग न कोऊ नीको लागे
चौखट पे बैठी चितवत उसको
सखियां प्रियतम से रंगि-रंगि आवे
रंगी है सखियां सारी अपने बालम के रंग मा
मारो करेजा मुँह को आवे
सखी रे मारो पिया नज़र है आवे
थमि जाए पहर ये थमि जाए धरती
उड़ाओ रंग गुलाल मारो पिचकारी
मोहे होली को रंग बड़ो भावे।।




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3 JAN 2022 AT 19:16

सदियों जुदा रहा रिश्ता हमारा
फिर भी बुरा रहा रिश्ता हमारा

उसकी हर बात माननें पर राज़ी हुए
फिर भी हाल अच्छा नहीं रहा हमारा

हमें न याद रही खुद की न दुनियाँ की
फिर भी गुलिस्तां बंजर रहा हमारा

हम खाली इसी भरम में उलझाए रखे गए
मैं हूं सिर्फ तेरी और तू है सिर्फ हमारा

उसकी बातें दिल लुभावनी थी खाली
बाकी उसका इश्क़ था न वो था हमारा


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22 NOV 2021 AT 20:58

संभोग की एक उम्र होती है
इश्क़ उससे भी आगे की चीज़ है

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6 NOV 2021 AT 11:26

बहना तेरी खुशी का हम राखगें ख्याल
तेरे आशीर्वचन से खुलेंगें मेरे मुक्ति के द्वार

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4 NOV 2021 AT 7:25

सुख बाटें सुख आत है, दुःख बाटें दुःख जात
सगरो घर रोशन कियो मोहे मातु मिलन की आस

प्रीति लगाके प्रीति न छोड़ो बहुत बड़ो अपराध
जाने प्रीति निभाई मनवा उतरो भवसागर से पार

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1 OCT 2021 AT 17:03

Your quote baba and your quote didi please hum par bhi nazar dal lo meri bhi koi post instagram ya other kahin your quote platform pe promote kar do
Kam se kam thoda hausala badha dijiye

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30 SEP 2021 AT 18:01

यहां सब लोग मुझें पागल कहते है
मेरी आँखों को दुनियाँ नज़र आती ही नहीं
मुझें उससे मोहब्बत है,है मोहब्बत उससे
नशा इश्क़ का नाँच नाचए तो कैसे बचू
क्या मैं पागल हूं,आवारगी तू ही बता...

सबकी नजर में पैसा ही दौलत है
मेरे सब यार कमाऊ है
मैं उसकी यादों को संभालकर रख रहा हूं
सबकी अपनी-अपनी दौलत है
इसमें क्या गलत है,आवारगी तू ही बता...

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28 SEP 2021 AT 16:16

तुम्हें बताना है किस तरह से तुम्हारे अंदर हूं मैं
तुम एक ग्लास पानी हो और उसमे डूबा हुआ अश्क हूं मैं

तुम जब बेख्याल हो जाते हो तो लगता है
एक ज़िंदा लाश हूं और घर मे नहीं शमशान में हूं मैं

मुझें नींद आती नहीं है रातों में क्या करूं मैं
दबाओं से काम नहीं चलता है तुम्हारे सुलाने के इंतज़ार में हूं मैं

तुम चाहें जिस तरह से रखो मुझें अब ये तुम पे है
तुम मेरे मालिक हो और तुम्हारा दास हूं मैं

ये होंठ,येआँखें,ये जुल्फ़ ,ये चेहरा ये रूह और ये सारा बदन है न तुम्हारा
मेरी जान यही हूं मैं,यही हूं मैं,यही हूं मैं,यही हूं मैं

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