17 AUG 2017 AT 21:08



मुझे गुमनाम रहने का कुछ ऐसा शौक है,

किसी बेनाम शहर की भटकती धूप हो जैसे......

जहा साये तरसते हो, किसी की पायल की आहट को

जहा ज़िन्दा ना हो कोई, बस मौत रहती हो !!!!!

जुस्तजू

- Abhysheq S