मुझे गुमनाम रहने का कुछ ऐसा शौक है,किसी बेनाम शहर की भटकती धूप हो जैसे......जहा साये तरसते हो, किसी की पायल की आहट कोजहा ज़िन्दा ना हो कोई, बस मौत रहती हो !!!!!जुस्तजू - Abhysheq S
मुझे गुमनाम रहने का कुछ ऐसा शौक है,किसी बेनाम शहर की भटकती धूप हो जैसे......जहा साये तरसते हो, किसी की पायल की आहट कोजहा ज़िन्दा ना हो कोई, बस मौत रहती हो !!!!!जुस्तजू
- Abhysheq S