Abhimanyu Singh   (@abhi)
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'झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये,
और मैं था के सच बोलता रह गया।'
Joined 21 February 2018


'झूठ वाले कहीं से कहीं बढ़ गये,
और मैं था के सच बोलता रह गया।'
Joined 21 February 2018
18 OCT 2022 AT 21:11

खंडहर ...

वो सारा प्रेम,
वो विश्वास, वो जज़्बात
वो जो कुछ भी था मेरे पास
वो सब दे दिया था मैंने तुम्हें
इस यक़ीन पर,
कि काफ़ी होगा ये शायद,
तुम्हें, किसी और की ज़रूरत
ना पड़ने देने के लिये
जनम भर ...

मैं,
खाली हो गया,
तुमको सौंप कर सब कुछ।
उस परिंदे की तरह
जो परवाज़ करते करते,
खो गया हो अपनी मंज़िल,
और आ बैठा हो,
किसी खंडहर की मुंडेर पर,
थका हारा,
तनहा ...

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7 APR 2021 AT 23:56

तुम जाओगे एक दिन, ये मालूम तो था,
इस तरहा चले जाओगे, ये सोचा न था।

वादे तोड़ोगे एक दिन, ये मालूम तो था,
किसी और के हो जाओगे, ये सोचा न था।



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23 DEC 2019 AT 18:51


मेरी देह पर,
ये जो तुम डालती रहती हो ना,
भिन्न-भिन्न आवरण, मनचाहे।
ढालती रहती हो मुझे अनवरत,
अलग अलग रूप में, मनमाने।

सुनो,
अब एक कोई सा भी आवरण
डाल दो मुझ पर सदा के लिये,
या खड़ा रहने दो मुझे निर्वस्त्र।
नित यूं रूप बदलते बदलते,
थकने लगा हूं अब …

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25 OCT 2019 AT 18:11


तुम्हारी दी हुई हर चीज़ से मोहब्बत है मुझको बेपनाह

ये तनहाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
ये बेवफाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
ये रुसवाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
तुम्हारी दी हुई हर चीज़ से मोहब्बत है मुझको बेपनाह


ये देने का वायदा न किया था कभी तुमने लेकिन …

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23 OCT 2019 AT 17:22


तुमको एक दिन जाना था ...

मैं अपने दिल की सुनता रहा, तुमने दुनियादारी देखी
तुमने दुनिया में मुझे देखा, मैंने तुममें दुनिया देखी
मैं सिर्फ़ तुम्हारा दीवाना बन, खुद को मुक़म्मल समझा किया
तुमको दुनिया से हाथ मिलाने, आगे बढ़ ही जाना था
हाँ, तुमको एक दिन जाना था।

मैं तुमको रोक नहीं पाया ...

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22 OCT 2019 AT 18:24


रुद्रा बनकर सती के वियोग में ब्रम्हांड में भटकते
शोकाकुल शिव ने जैसे पा लिया था सती को पुनः
सुनो, तुम भी मिल जाओगे क्या मुझे फ़िर वैसे ही

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19 OCT 2019 AT 20:36

कुछ इस तरहा मेरा किरदार खुद से बाबस्ता होता गया
तुम औरों से जुड़ते गये, मैं फ़िर से तनहा होता गया।

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18 AUG 2018 AT 23:27

तुम पास थीं, तो साथ भी थीं, ये कह नहीं सकता,
तुम्हारे बाद, हर इक लम्हा, तुम्हारे साथ गुज़ारा है

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12 AUG 2018 AT 23:40

मैं इतना भी धीमा नहीं था शायद,
तुम ही निकल गईं आगे जल्दी बहोत।

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1 AUG 2018 AT 0:05

तुम अब देखतीं अगर तो मायूस हो जातीं शायद
के मैं अब पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं दिखता।

वो चेहरा जिसकी कशिश तुम्हें दीवाना बनाती थी
वो आंखें जिनकी मदहोशी तुम पर तारी रहती थी
वो जिसकी हंसी पर तुम खुद को हारा कहती थी
वो जिसको तुम हमेशा के लिए तुम्हारा कहती थी

तुम अब देखतीं अगर तो मायूस हो जातीं शायद
के मैं अब पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं दिखता।

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