वो सारा प्रेम,
वो विश्वास, वो जज़्बात
वो जो कुछ भी था मेरे पास
वो सब दे दिया था मैंने तुम्हें
इस यक़ीन पर, कि काफ़ी होगा ये शायद, तुम्हें, किसी और की ज़रूरत ना पड़ने देने के लिये जनम भर ...
मैं,
खाली हो गया, तुमको सौंप कर सब कुछ। उस परिंदे की तरह
जो परवाज़ करते करते,
खो गया हो अपनी मंज़िल,
और आ बैठा हो,
किसी खंडहर की मुंडेर पर,
थका हारा,
तनहा ...
ये तनहाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
ये बेवफाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
ये रुसवाई जो तुमसे मिली, मुझे इससे भी मोहब्बत है
तुम्हारी दी हुई हर चीज़ से मोहब्बत है मुझको बेपनाह
मैं अपने दिल की सुनता रहा, तुमने दुनियादारी देखी तुमने दुनिया में मुझे देखा, मैंने तुममें दुनिया देखी मैं सिर्फ़ तुम्हारा दीवाना बन, खुद को मुक़म्मल समझा किया तुमको दुनिया से हाथ मिलाने, आगे बढ़ ही जाना था हाँ, तुमको एक दिन जाना था।
तुम अब देखतीं अगर तो मायूस हो जातीं शायद
के मैं अब पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं दिखता।
वो चेहरा जिसकी कशिश तुम्हें दीवाना बनाती थी
वो आंखें जिनकी मदहोशी तुम पर तारी रहती थी
वो जिसकी हंसी पर तुम खुद को हारा कहती थी
वो जिसको तुम हमेशा के लिए तुम्हारा कहती थी
तुम अब देखतीं अगर तो मायूस हो जातीं शायद
के मैं अब पहले जैसा बिल्कुल भी नहीं दिखता।