चार पंक्तियाँ अपने शहर के लिए ...तुमने आवाज़ दी लो हम वापस लौट आए हैंमिलेंगे फिर कभी तुमसे ये उनको बोल आए हैं वो रूमानी सी ठंढ, वो लाल किले की गलियाँतुम्हारे वास्ते ही पराई दिल्ली छोड़ आए हैं ।© अभिजीत - ©अभिजीत
चार पंक्तियाँ अपने शहर के लिए ...तुमने आवाज़ दी लो हम वापस लौट आए हैंमिलेंगे फिर कभी तुमसे ये उनको बोल आए हैं वो रूमानी सी ठंढ, वो लाल किले की गलियाँतुम्हारे वास्ते ही पराई दिल्ली छोड़ आए हैं ।© अभिजीत
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