जिद्द पर अड़ जाउ,
और कोई दास्तां लिख दूं|
कोई पूछे जब कमी मेरी,
बस शब्दों में तेरा नाम लिख दूं|-
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हवाओं का पैगाम,
अब अनोखा सा दिखाई देता है|
जैसे उसकी निगाहों में,
मुझे धोखा सा दिखाई देता है|-
ये वादियां इस धरती को,
एक दुल्हन सी सजाती है|
और देखूं जब इन वादियों को
बस तू ही नज़र मुझे आती है|-
लगी इश्क़ की रोग है,
और दर्द न जाने कोए,
उम्र घटे इस रोग में,
और नींद चैन सब खोये,-
इश्क़ कहु या रोग इसे,
न दवा लगे न चैन,
इश्क़ रोग सबसे बुरा,
बस उम्र घटे दिन-रैन,-
शाम की ठंडी छाँव तू,
मैं उगता प्रीत सवेरा,
तेरे ज़ुल्फ़ तले में छुपा है साथी,
चाँद सा मुखड़ा तेरा,-
मधुर प्रेम रस प्रीत की,
पाकर मैं अनमोल,
प्रेम के रस की ललक मुझे,
बावरी प्रीत की बातें बोल,-
नैन नज़र की बात है,
और नैन करे इज़हार,
नैन मिले तो इश्क़ हुआ,
अब नैन बसे मेरा यार,-
चुप चुप रहता यार दिल,
और इश्क करे है शोर,
राह निहारत रात गयी,
अब भई प्रेम की भोर,-
जमीं पे बिखरे घास को,
जैसे ओस की बूँद की आस,
डूब कर इश्क की दरिया में,
तेरे इश्क़ की लगी प्यास,-