Aarav Singh (Gaurav)   (#Aarav Singh (Gaurav))
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Joined 25 January 2021


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4 FEB 2023 AT 22:19

अंधेरों में मुझको आज भी बड़ा डर लगता है।
मां के गोद में रखता हूं, तो जन्नत में सर लगता है।।

मकां बड़ा बहुत बड़ा है मेरा चारों तरफ से मगर।
मां - बाप हंसते है तो मकां घर लगता।।

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7 APR 2022 AT 17:47

इम्तेहान ज़िंदगी के सारे उत्तीर्ण करके आया हूं.,
मुश्किलें बहुत आई मैं सबसे लड़ कर आया हूं..और
बलाएं सारी टल गई मेरी मुझ तक पहुंचने से पहले ही,
ये जानकर की मैं, घर से मां के पैर छू कर आया हूं...

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4 APR 2022 AT 16:21

~ अधूरे ख्वाब

अधूरे से ख्वाब मेरे जो तेरे आंखों में अटके है,
ये रस्ता जिदंगी का हम, तेरे चेहरे में भटके है... और

लगी है आग बादल में कुछ यूं,
की बिन मौसम देखो बरसात हो रही है..

ये कोई महीना नही है सावन का जनाब, लगता है
भिगो के उसने अपने बाल झटके है...

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8 FEB 2022 AT 14:30

इजहार तो करो मोहब्बत का,
वादा है हम आखरी सांस तक निभाएंगे..और
कभी जरूरत पड़े तो एक आवाज लगा देना,
वादा रहा तेरे लिए आसमान से भी चले आएंगे

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8 FEB 2022 AT 9:54

इजहार ए मोहब्बत हम कुछ यूं भी करना चाहतें हैं,
Propose_Day का नही, हम तो तेरे आने का इंतजार करना चाहतें हैं...

तुझसे मिलने की एक अरसों तमन्ना रही है मेरी इसलिए भी
जो हवाएं तुझे छूकर गुजरती हैं उनसे तुझे लाने फरियाद करना चाहतें हैं.. और

I_Love_You वाला Propose_Day तो हर फरवरी आता रहेगा मगर
जाना हम तो Will_You_Marry_Me बोलकर तुम्हें घर लाना चाहते हैं...

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7 FEB 2022 AT 10:33

वो पल-पल, एक-एक पल का हिसाब रखती है,
कब, क्या, कैसे, क्यों सब लिखती है वो अपने पास एक किताब रखती है...और
मोहब्बत ए लिहाज़ कुछ यूं भी जानती है वो, की
सब से मिलती है खुलकर और मुझसे मिलते वक्त चेहरे पर हिजाब रखती है...

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26 NOV 2021 AT 13:51

थोड़ी सफेद थोड़ी है काली,
मैं कैसे कह दूं ये देश है ख्याली...
यहां लोग मिलकर मनाते हैं होली-दीवाली
इसलिए कहते हैं ये दुनिया है निराली..

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24 NOV 2021 AT 21:14

जरूरतें सबकी पूरी नहीं होती,
मेहनत करो, मेहनत करके सब हासिल करो,
सुना है कोशिश करने वालों की,
जरूरतें कभी अधूरी नही होती...

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16 NOV 2021 AT 23:49

बिन कुछ कहे फिर,
फिर तेरी बात आ रही है..
सुन आज तेरी,
तेरी बहुत याद आ रही है...

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30 JUL 2021 AT 11:15

तू बार बार यूं आंखों में अपनी,
गहरा सा काजल लगाया ना कर..

तेरे झुमकों की आवाज से मदहोश हो जाते है बादल,
जरा आहिस्ता चल इनको बजाया ना कर..

मजबूर हो जाते हैं लोग बारिश से घर पे रहने पे,
यार तू बार-बार छत पे जाकर सर से दुपट्टा हटाया ना कर...

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