तोड़ दो वो बेड़ियाँ जो देख न पाए तुम आज तक,
बंधे हुए हो रीतियों से आज भी सर पाओं तक,
समझ रहे थे कल तक, तुम सही जो बात हर,
आज ज़माने ने जो बोला, कह दिया तुमने गलत ।
क्यों न लड़ पाए वहाँ ? थी ज़रूरत आज जब,
समझ न पाए जो तुम कपट, मर गयी इंसानियत।
पूछ लिया उसने जो कारण, क्या दे पाओगे जवाब तब?
खत्म करोगे असमंजसता को, कर पाओगे नया आग़ाज़ तब।
- Destiny Gremlin