जय हिंद , जय भारत
धैर्य रखा वीरों ने नहीं तो ख़ून की नदिया बह जाती ,
रक्षा का सवाल 140 का और देना था जवाब ,
तूफान चल रहा दिमाग में , ताकत बतलाना था,
कोई दुश्मनी नहीं थी पड़ोसी से, आतंक वाद मिटाना था, जब खामोश वीर रह गया ,
क्षण भर के लिए सारा विश्वास टूट गया ।
बातों में और लातों में फर्क बहुत है,
ये उसको बतलाना था।
वो दिन आ गया , जब मुंह तोड़ जवाब दिया,
मेरी बहनों के स्वाग का बदला सिंदूर से लिया।-
Poet
Writer
Teacher
Selfmotivated
Flexible
Adaptable with time
Admin of opening yor ... read more
A man who makes set of rules and break himself and talk about honesty this doesn't suit him.Those who has vision and planning for unplanned destination, they are supposed to face unexpected results everytime. It means they should be well planned and organised. One more thing competition of climbing tree should not be for everyone.
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रगो में खून नहीं आजादी है,
मुख में जुबा नहीं आक्रोश हे,
हाथ उठते है बस तिरंगा उठाने को,
सर झुकता है , भारत के वंदन में
बचपन से पचपन तक एक मेरी निशानी है
नख से शीर्ष तक बंदा हिंदुस्तानी है।-
पत्थर के हो गए ,
अब कुछ नहीं महसूस होता
चाहे जान दे दो,
या जहां दे दो
ये मुखौटा अब नहीं हटता ।
सब अहसास थम गए
अब कुछ नहीं महसूस होता
चाहे मार दो ,
या मर जाऊ।
ये लिबाज अब नहीं पिघलता।-
जब तलक तुम चुप रहो,
मैं इस उलझन में रहूंगा,
तुम नाराज हो या इशारा कोई ।
हरगिज हम कच्चे दिमाग के है
निशब्द कुछ समझ आता नहीं
और आता भी है ,तो तुमको भाता नहीं।
बड़ी गमगीन हालात है मेरे आकाश,
कहो तो बताओ ,आप यूं समझो ,
मैं इस पार का भी नहीं , और उस पार का भी नहीं।-
वो पकड़े गए उस दिन जब नजरे देखी,
उसको सब करना था छिपा कर ,
मुझे प्यार करना था बताकर सब,
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लिखूं कुछ ऐसा कि अमर हो जाऊ,
ख्वाबों के घर का झूमर हो जाऊ,
तनिक आयेंगे पूछने हाल के बहाने से वो ,
कि में एक बार में ही बर्बाद हो जाऊ।
सुना है कि अब सब चर्चा हे मेरी,
कहने वालों के जुबा में आ जाऊ में ,
सब तरफ अफवाएं, कहानियां थी मेरी ,
जो मुझे बोले , सच हो जाऊ में ।
किस्सों का हिस्सा और हिस्से का किरदार नहीं मैं
हर कहानी का हीरो हो जाऊ ,
आजीवन उम्र बीत गई जिसके प्यार में,
उसकी आंखों का सुन चैन हो जाऊ।-
"वो बचपन भूल गई , जी रही आने वाले कल को
समझा रहा उसको , जीने का सलिका.
मंजूर नही उसको , बच्चा बन जाना
उसकी शैतानिया, नादानिया , कमिया उसको अच्छी नहीं लगती
बचपन की कोई बात नहीं , उसको नहीं जचती ।
वो मसगूल है चिंता में , वो मसगूल है भविष्य में
कहीं अंदर से टूट चुकी है , फिर से जुड़ना मंज़ूर नहीं है
अब कोई दर्द, गम और शरारते अच्छी नहीं लगती
बचपन की कोई बात नहीं , उसको नहीं जचती।"-
विश्वास करना होता है,
जब टूट कर बिखरते है सपने,
सपने तो आखिर सपने है
फिर हासिल किये जा सकते है,
मगर कही ऐसा न हो,
कि ये हमे ही बिखर कर चले जाये,
क्योकि अगर हम बिखरे तो
कई दशक लग जायेगे ,
फिर से वही दृढ़ निश्चय
और संकल्प को तय करने में,
और समय अमर है, अनंत है,
इसका काम तो निरंतर चलना है,
समय के साथ जो चला वो साथी
अन्यथा निरर्थक हो जाना है ।
क्षण भर में सब बदल जाता है,
फिर दशको की क्या बात करे,
वक्त रहते परिवर्तन हो तो ठीक ,
नहीं तो खुद मे सिमट जाना है।-