धरा सिंह   (निर्झर 💦)
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Joined 31 May 2019


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21 JUN AT 10:55

रुला देती है मौसम की ये बारिश भी निर्झर
वर्षों से जिंन्दगी जैसे रुलाती आ रही.

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18 JUN AT 7:09

भीड़-भरी सड़क पर मैं हूँ तन्हा..

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वही काँसे की थाली
एक चिरसंचित भूख
युग बदले वक्त बदला
नही मिटा दुख..

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14 MAY AT 9:08

मैने कई बार चाहा
कुछ कहूँ
लेकिन
लफ्ज़
होठ सिल गए.

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26 MAR AT 22:58

क्या सात फेरों के बंधन इतने कच्चे होते हैं..


(कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें)

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23 MAR AT 19:12

हमारी दोस्ती बड़ी प्यारी है
सारे जहां से निराली है

योरकोट के सफर से साथ हैं
हाथ में हाथ नहीं फिर भी साथ हैं

कलम में अल्लापाक की दुआ
और बातों में गुरबानी है ..

भवानी माँ खुश रखें
दे कामयाबी आपको सदा..

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20 MAR AT 21:58

गौरया
तुम्हें देखा नहीं
कभी
आज भी
मन करता है
घर के आँगन में
तुम्हारा चावल
के दानों को
चुगना
और हम सबको
तुम्हें निहारना
और फुर्र से उड़ जाना

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14 MAR AT 18:50

न साँस बाकी न एहसास बाकी
ज़िन्दगी तेरे दिए हुए चंद एहसान बाकी

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1 MAR AT 21:47

मत काट उस डाली को जिस पर हमारा ठिकाना है
आज जहाँ हम हैं वहीं एक दिन तुमको भी आना है

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23 FEB AT 13:11

किसी के हृदय में स्थान बनाना दुष्कर है
सहज किसी को हृदय से निकालना भी नहीं

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