जिंदगी मुझको सता रही है, किया एक मुलाकात करोगे दोस्त
कोई राह नजर नहीं आ रही, गले लगाओगी दोस्त!!!
भर तो गया मन फिर भी यह झलकता नहीं,
दर्द रह घरी है लेकिन अब जरा भी तड़पता नहीं ;
किया मेरा कंधा थाम कर, एक एहसान करोगे दोस्त!!!
ज़िंदगी मुझको बहुत सता रही है, किया एक मुलाकात करोगे दोस्त!!!
खामोशी इतनी हाबी है कि, दिल की धड़कने शोर लगे;
सूरज की किरणें तो जगाने को आतुर हैं ;
पर यह समा काला भोर लगे...
थोरी गुफ़्तगू करके इस खामोशी को तोड़ोगे,
ज़िंदगी मुझको बहुत सता रही है, किया सिर्फ एक मुलाकात करोगे दोस्त !!!
नहीं चाहिए लंबी छुट्टी, नहीं चाहिए एकांत मुझे;
पास आ के आगोश में ले लो, कर दो अब सांत मुझे;
सिर्फ एक शाम साथ बिता कर, किया मुझमे सुकून भार दोगे दोस्त!!!
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