सारे रिश्तों में एक रिश्ता तुम्हारा,
सारे किस्सों में एक किस्सा तुम्हारा।
सारे चेहरों में एक चेहरा तुम्हारा,
सभी यादों में एक याद तुम्हारी।
सबकी बातों में एक बात तुम्हारी,
सारी रातों में वो सुलगती रात तुम्हारी।
सारी खुशियों में एक खुशी तुम्हारी,
सारी कमियों में एक बस कमी तुम्हारी।
सारी आदतों में मुझको आदत तुम्हारी,
सारे फासलों में एक फासला तुम्हारा।
सब पहरों में वो पहरा तुम्हारा,
कितना प्यार है मुझसे ये कहना तुम्हारा।
मुस्किल वक्त में मेरे आस पास रहना तुम्हारा,
अक्सर रोज रातों को मिल के जाना तुम्हारा।
मुझको देखते ही खुल कर के मुस्कुराना तुम्हारा,
मेरे सथ में ही वो बैठ के खिलखिलाना तुम्हारा।
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