इस कदर यादों में बसे हो तुम, और कुछ याद नहीं आता,
बिन तुम्हारे जी न सकूंँगा, दिल को कोई और छू नहीं पता,
पता है मुझे, तुम कहीं और हो, मैं सदा कहीं और रहूंँगा,
यादों का सहारा है, पता नहीं दिल की बात कैसे कहूंँगा,
धुंँधली हो रही नज़र, पर तुम अब भी साफ़ दिखते हो मुझे,
यादों में ही सही मिलो मुझसे, दिल का इज़हार करना है मुझे,
चाहत ऐसी हुई अब, हकीकत में किसी और को छू न सकूंँगा,
आंँखे बंद कर देखता हूंँ तुम्हें, बस तुम्हारी यादों में रह जाऊंँगा,
पता है की तुम्हें भी प्यार है, सामने इक पल आओ तो सही,
कितनी बातें करते हो यादों में, सच में सुनना है बातें कई,
मेरी अधखुली आंँखें खुलते ही कहीं दूर चले जाते हो तुम,
हर रात को यादों में मिल कर, बहुत ज़्यादा आज़माते हो तुम,
अब यादें ही तो है तुम्हारी, इन्हीं के सहारे जी रहा हुँ मैं,
कहांँ रह गए अब तुम, अकेले ही बस जी रहा हूंँ मैं।।
-