Wordsmith Yogesh   (Wordsmith Yogesh)
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Joined 19 September 2019


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4 HOURS AGO

काश एक दिन ऐसा भी आए
हर किसी को उसका हिसाब जाए,

धोखे का मिले धोखा बदले में
हर करम के सवाल जवाब पाए,

साथ हो कोई या ना हो कोई,
वो एक रहे जब घटा धूप छाए,

दुनियां का रोशन हो सितारा सभी,
हाज़िर हो बात जब टूटने पर आए।

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1 MAY AT 2:26

काबीलियत बुलंद तू काम काबिल ऐसा हो ज़रा,
ख़ुदा खुद पूछे कुछ मुकाम हासिल ऐसा हो ज़रा,

मेहनत कर मुकाम मन मेरा क़ाबिज़ ऐसा हो ज़रा,
करम मेहरबान हो मुनासिब हाफ़िज़ ऐसा हो ज़रा,

दीदार करूं मैं भी लम्हे बीते दरख़्त ऐसा हो ज़रा,
हालात जाएंगे गुज़र ये भी एक वक्त ऐसा हो ज़रा,

हिसाब ले-दे खुद कर कुर्बान ईमान ऐसा हो ज़रा,
माया-मोह न लालसा बचे सुख-सम्मान ऐसा हो ज़रा।

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26 APR AT 23:58

तुमने किया करम जैसा जो वो तुम्हे दिखाएगा
सताया आज जिसने खुदा कल उन्हें सताएगा,

जिसने तुम्हे रुलाया वो भी भुगत के जाएगा,
होगा हिसाब किसे खो कर कौन क्या पाएगा,

करम करिशमे का हो या हो दुआ का असर,
जिसकी जैसी भूख जितनी वो उतना खाएगा,

देखने दो दर्द जहां को खुश होकर बेपरवाह,
तुम्हे मिलेगा मर्ज़ तुम्हरा जो किया सो पाएगा।

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25 APR AT 18:04

तुमने कहा दर्द था मैंने कहा शायद अर्ज़ था
तुमने किया फर्ज़ था मैंने किया शायद कर्ज़ था,

दीवार दुश्मनी सी लगी चोट ज़ख़्म कोई दर्द था
तकलीफ होती रही रोना मना है शायद कोई मर्द था,

तुमने देखी वजह तुम्हारी मैं सभी का हर्ज़ था,
रही बेईमानी बेहिसाब रोया उस दिन मैं गर्ज़ था,

होती रही हर शाम शामिल सोज़ में मेरे फिर
हुई सुबह उम्मीद में मेरे लम्हा हर हर्फ़ दर्ज़ था।

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13 APR AT 14:43

लिख मुकाम हो भले नाकाम बस करते जा,
हैरान हो परेशान हो, हो हताश बस करते जा,

मुश्किलों का दौर है न दिखे कोई छोर है,
मक़ाम मंज़िलो का भरते जा बस करते जा,

जान दान द्रोह धर्म होशियार हर एक से होता जा,
प्रेम पद प्रतिष्ठा खोते जा पाते जा बस करते जा,

क्यूं होना कम कमज़ोर लगा जान लगा ज़ोर,
हर हार में सीखता जा जीतता जा बस करता जा।

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10 APR AT 0:21

मेहनत कर मुकाम मन तेरा क़ाबिज़ ऐसा हो ज़रा,
करम मेहरबान हो मुनासिब हाफ़िज़ ऐसा हो ज़रा,

हिसाब ले-दे खुद कर कुर्बान ईमान ऐसा हो ज़रा,
माया-मोह न लालसा बचे सुख-सम्मान ऐसा हो ज़रा,

दीदार करूं मैं भी लम्हे बीते दरख़्त ऐसा हो ज़रा,
हालात जाएंगे गुज़र ये भी एक वक्त ऐसा हो ज़रा,

काबीलियत बुलंद तू काम काबिल ऐसा हो ज़रा,
ख़ुदा खुद पूछे कुछ मुकाम हासिल ऐसा हो ज़रा।

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7 APR AT 11:01

सात्विक और संपूर्ण प्रेम
किसी भी प्रकार की
सामंजस्यता को
सरलता में
बदलने का
सामर्थ रखता है

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5 APR AT 22:06

अनायास अर्थ प्रेम को नहीं परंतु प्रेम के
परिवेश-परिस्थितियों को तो ख़रीद ही लेता है।

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2 APR AT 22:33

ख़्वाब सजा इतना टूटकर बिखरना भी खेल लगे,
परवान चढ़ा चश्त को इतना हर किसी को जहल लगे,

ठंड में गर्माहट दर्द में मुस्कुराहट और विराने में बसाहट लगे,
ज़िंदा रख इरादे इतने की हो हरे ज़ख़्म और उसमे भी राहत मिले,

इस तरह ईलाज हो इतना कि बीमारी भी बेईमान लगे,
हो हताश जो हारकर फ़िर ज़िंदा इतना ज़िंदगी भी रोज़ रुमान लगे,

चार कदम भी जो टूटकर चला तो जुनून को भी जान लगे,
फ़ना कर मेहनत में इतना जो जलाकर हर ज़र्रे-ज़र्रे को सम्मान लगे।

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28 MAR AT 22:58

आवाज़...
किसी को प्यारी लग जाती है
किसी को बुरी चुभ जाती है,

कोई बिन पूछे हाल तुम्हारा जान जाता है,
कोई सुनकर भी बात बुरा मान जाता है,

अपना होकर भी परायो मे तोल देता है कोई,
पराया होकर भी दो बोल दवाई के बोल देता है कोई,

प्रीत सभी छोड़ सुनाओ उसे वो तकलीफ़ सुनेगा तुम्हारी,
आवाज़ देकर बुलाओ उसे वो खुशियाँ चुनेगा तुम्हारी।

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