कई बार लोग आपको अपनी ज़िंदगी से सीधे सीधे बाहर नहीं करते, सीधे सीधे नहीं कहते कि आप उनकी ज़िंदगी से चले जायें बल्कि ऐसे हालात पैदा कर देते हैं, ऐसी परिस्थिति पैदा कर देते हैं कि एक सीमा तक जाने के बाद आप ख़ुद ही वहाँ से चले जाते हो और बाद में वही लोग आपको ही दोषी ठहराते हैं, उनकी ज़िंदगी से चले जाने के लिए। ऐसा सबके साथ होता है !!