VIVEK KUMAR SINGH   (विवेक कुमार सिंह)
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Joined 4 November 2017


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12 MAY AT 20:07

कुछ लिखा था मैंने, तुम्हें सुनाने के लिए। दिल की कुछ बातें थीं पर तुम्हारे सवालों के जवाब नहीं। एक बार फिर कुछ लफ्ज़ अनकहे-अनसुने रह गए।

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10 MAY AT 23:35

कुछ याद करते-करते मैं मुस्कुराने लगता हूँ। पर जब मेरा मुस्कुराना बंद हो जाता है तो मैं याद करना बंद‌ कर देता हूँ।

मेरी समझ में यादों को खूबसूरत होना चाहिए।

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8 MAY AT 21:40

हाड़-मांस के पुतलों में भरी,
मज़बूरियाँ और लाचारियाँ हैं।
थक-हारकर हम सो चुके हैं,
जो‌ चल रही हैं, जिम्मेदारियाँ हैं।।

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16 MAR AT 9:22

आज खड़ा हो प्रकाश को,
मनुज सर्वस्व झोंकना चाहता है।
पर अंधकार सफेदपोश हो,
उजाला रोकना चाहता है।।

जो उदित होगा सूर्य ज्ञान का,
खग करेंगे कलरव-गुंजन।
बदल देंगे गान धरा का,
कर देंगे नभ का स्पर्शन।।

पर हो घन बुराइयाँ सारी,
आकाश ढकना चाहती हैं।
ओढ़ा आवरण काले रंग का,
अरहान रोकना चाहती हैं।।

हो चाहे लाख रुकावटें,
रोशनी बस आकर रहेगी।
सुंदर मनोहर सुबह अपनी,
ताज़गी दीखाकर रहेगी।।

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14 MAR AT 22:08

अपना धैर्य‌ अब तुम्हें और आजमाने नहीं दूंगा,
जो फ़िर पीछे मुड़कर देखोगी, जाने नहीं दूंगा।।

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5 FEB AT 20:41

मेरी आँखों पर छाया तेरा पहरा बहुत खूब होगा,
मौत! मुझे लगता है तेरा चेहरा बहुत खूब होगा।
यूँ ही नहीं छोड़ देते हैं तन्हा लोग जिंदगी को,
तेरा सबकी रूहों से, रिश्ता गहरा खूब होगा।।

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29 AUG 2023 AT 23:15

न तो कोई ऐब है उसमें,
न ही‌ किसी का बुरा करता है।
मुझे तो बस इसलिए खटकता है,
क्योंकि तुमको अच्छा लगता है।।

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13 JUL 2023 AT 19:24

यौम-ए-पैदाइश पर कहता रहा कुछ मांग लो,
रज़ा फकत यही रही, मुझी से मांग ले मुझको।

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8 JUL 2023 AT 19:52

कई रातें‌ न तो सोया है सही से,
कई रातें नामुकम्मल जगा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है ,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।

ये आँसू, ये मुस्कान,
ये मोहब्बत मेरी जान!
अगर थोड़ी सी बद्दुआ है,
तो थोड़ा सजदा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।

कभी रूठना, कभी मनाना,
एक-दूसरे पर हक जताना।
ऐतबार है कभी-कभी,
तो‌ कभी शिकवा भी तो है।
दिल है‌ कि कहीं लगता ही नहीं है,
दिल है कि तुमसे लगा भी तो है।।

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10 JAN 2023 AT 20:54

समझ से परे ये कैसी परीक्षा हुई जाती है,
जिंदगी इतवार की प्रतीक्षा हुई जाती है।।

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