जब से हाथो में आया
लोग भूल गए खुद को वक्त देना
जहां ये दूसरो से जुड़ी बातें हमें बताते
वही अपनो से जुड़ी बातों से करते बेख़बर
एक वक्त था जब हम ढूंढा करते थे
कोई हो जो हमारे साथ वक्त बिताये
पर अब मोबाइल साथ हो तो
कमी नहीं होती किसी की
जहां ये लोगों को करीब लाती हैं
वही ये हमें अपनों से दूर करती है
भले हम चार्ज ना हो पर
मोबाइल का फुल चार्ज होना है जरूरी
मानो ये ना हो तो कुछ भी नहीं हम
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