सर्दी की कोई सुबह थी शायद
एक पार्क जहां हल्की मगर जिंदगी से भरी घास
पर गुनगुनाते हुए कुछ लोग न जाने क्या ढूँढ रहे थे
ये जानते हुए भी कि जो खोया है वो नहीं मिलने वाला
खासकर इस जगह पर तो नहीं, जहां धूप आती है
जहां चिडियों का झुंड है और कुछ आवारा कुत्ते
सारे अजनबी चेहरों में कोई क्या ढूंढ पाएगा भला
कुछ भागते लड़के और लड़कियां, फोन,डांस, क्लिक
वन टू थ्री स्टार्ट I ओए वीडियो चल रहा पागल !
जिंदगी के तमाम पड़ावों से गुज़री हुई जिंदगियों
में खुद को और तुम्हें ढूंढने की मेरी कोशिश
कितनी अजीब है, हाउ टू लिव फुलेस्ट??
अचानक उसने कहा तुम कुछ कहते क्यूँ नहीं
उसकी आँखों में न जाने क्या ठहर आया था
यूँ लगा जैसे उसने देर से नजरें छुपाकर रखी हो
शायद यही वो बजह थी जो हम यहाँ थे
शायद ऐसी कोई मिलती जुलती बजह
हर किसी की होगी, मगर मैं यकीं से नहीं कह सकता!
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