मैं परिंदा हूं खुले आसमान का, मुझे अपनी उड़ान भरने दो, बहुत भारी है तुम्हारी उम्मीदों का बोझ, मुझे खुद की पहचान करने दो!
ज़रूरी नहीं मेरा अपने फैसले लेकर खुश रहना, धीरे धीरे ही सही, पर मुझे अपने दम पर चलने दो, मैं गुलाब ना सही, पर चमेली तो हूं, मुझे रोको मत, मुझे भी खिलने दो!