Vikram Kumar   (विक्रम✍️✍️)
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Joined 3 January 2020


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Joined 3 January 2020
27 APR 2023 AT 1:49

प्रेम का कोई स्वरूप नहीं होता
जब किसी की अनुभूति
खुद से भी ज्यादा अच्छी लगने लगे
तो वही प्रेम का रिश्ता होता है।

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24 APR 2023 AT 10:04

मैं तुम्हें miss करता हूँ, याद तो मेरी भी आती होगी
यहाँ करवटों में रातें कटती है चैन तो तुम भी नहीं पाती होगी
तुम्हारी एक आह पे मैं परेशान हो जाता था
आज भी याद कर तू हैरान हो जाती होगी
Kitkat तुम्हारा फ़ेवरेट था तुम आज भी खाती होगी
मेरे हाथों की चीनी-रोटी तुम्हें जरूर याद आती होंगी
इतनी सारी मीठी यादें तुझे थोड़ी तो तड़पाती होगी
मैं तुम्हें miss करता हूँ याद तो मेरी भी आती होगी

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4 SEP 2022 AT 8:22

रूबरू जो तुमसे हुए अब भीड़ में भी तन्हाई है
जुदा होकर तुमसे यारा मेरे जान पर बन आई है

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18 JAN 2022 AT 15:43

कभी दिन-महीना, कभी साल बदलेगा
रखना उम्मीद,कभी तो ये हाल बदलेगा

उदास पतझड़ हो या खिला बसंत हो
वक्त पे हर मौसम का चाल बदलेगा।।

कदम-दर-कदम यहाँ हर जवाब है हाज़िर
जो न मिले,तो जीवन का हर सवाल बदलेगा

टकराते रहना तुम किस्मत के हर वारों से
देखना तकदीर का लिखा हर हाल बदलेगा

सूरज,चाँद-सितारें जैसे आबाद रहना तुम
मायूसी का ये मौसम फ़िलहाल बदलेगा।

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5 JAN 2022 AT 15:03

जो भी है कुछ कम नहीं तेरा साथ छूटने के बाद
हम अपने और पास आ गये दिल टूटने के बाद

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2 DEC 2021 AT 14:37

स्वयं जैसा अच्छा लगे
वैसे जीकर
कष्ट उठाने में जो मज़ा हैं
जैसा औरों को अच्छा लगे
वैसे जीकर
सुख पाने में कहाँ....

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31 OCT 2021 AT 17:15

किसी के आँखों में उतर जाने को जी चाहता है,
प्रेम लगन में हद से गुजर जाने को जी चाहता है,
सफ़र की धूप सर-आंखों पर है लेकिन
शाम ढलते ही घर आने को जी चाहता है

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30 JUL 2021 AT 10:54

थक हार के चूर हो जाऊँ, पर मेहनत जारी रहती है
सुकून की नींद भी नहीं आती इतनी जिम्मेदारी रहती है

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23 JUL 2021 AT 22:14

तुम्हारे चेहरे पर जो यूं खिल जाती है
उससे बढ़के कोई मुस्कुराहट नहीं है
सारे जहां में बस तुम ही हो आख़िरी
और कोई इस दिल की चाहत नहीं है

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23 JUL 2021 AT 12:37

यहाँ अग़र बस चले सच्चे प्रेमी का तो
रूह के वसीयत का पूरा हिस्सा भी दे दे
ये जान!आख़िर तुम्हारी हैसियत ही क्या

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