Vikas Yadav  
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Joined 29 October 2022


Joined 29 October 2022
24 APR AT 23:37

रोक दो मुझको जितना, लेकिन बवाल जरूर आयेगा,
मौन चाहे सारा जमाना, मेरा सवाल जरूर आयेगा।

वक्त मांगता वक्त है, और वक्त पर मुझको धैर्य है।
ढीठ मै खड़ा रहूंगा, चाहे जितना तुझको बैर है।

आंच को कम कर दो जितना, एक बार उबाल जरूर आयेगा,
ऐ डगमगागते मेरे मुकद्दर! एक रोज इंकलाब जरूर आयेगा।

अभिनय करती जिंदगी, मै अदना किरदार हूं,
वक्त कहता धैर्य तो रख! मै करता चमत्कार हूं।

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29 DEC 2023 AT 18:31

वो अर्ज किया, मेरा गर्ज भी था,
फिर मै टूट गया ये फर्ज भी था।
सबने सपनों से सच होने का फ़रियाद किया,
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

ये अलग नहीं की मै गैर रहा,
ये तो गलत हुआ की गैर बना।
तो क्या तुम उस पानी से आंखों को साफ किया?
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

मै ढूंढा गांव गली हर शहरों में,
तुम मिले नहीं बहते लहरों में,
सच है की तुमसा न हुआ न किसी ने साथ दिया,
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

मुझे मालूम तुमने मधुपान किया,
अरे हमने भी तुममे अनुदान किया।
तुम मस्ती में सुरूर रहे और मुझको भी प्रसाद दिया,
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

क्या ये गलियां तुझको भाते है?
मुझे तो वो बादल बहुत बुलाते है।
गुजरा स्वर्ग के सीढ़ियों से और मुश्किल से सांस लिया,
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

मै अब ढूंढ रहा उन सबराहों को,
सुरूर के असमंजस चौराहों को।
कहो तब किस-किस ने अस्थिरता में साथ दिया,
अब बोलो क्या भूल गए और क्या याद किया?।

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7 NOV 2023 AT 18:19

मै प्रेम में प्रवासी रहा,
जमीं से जितना चांद दूर,
बस उतना मै विश्वासी रहा।

तितलियां थी सज रही,
और जुगनुवों की मौज थी,
और वह भौरा सन्यासी रहा।

सींचा वृक्ष मैने कभी,
लेकिन ठंडक में, हैं सभी,
और बस मुझको फल बासी रहा।

मै परिणय के स्वप्न में,
उनके लबों पर कहीं जोर थी,
फिर मेरा हृदय उदास ही रहा।

मै प्रेम में प्रवासी रहा।
मै प्रेम में प्रवासी रहा।

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