Vijay Thakur   (मैं और मेरे अल्फाज़)
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Joined 6 June 2020


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5 HOURS AGO

ज़ख्मों को मेरे कुरेद कर
फिर उसने मुझसे पूछा..
हाल कैसा है तुम्हारा??

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9 HOURS AGO

सिर्फ़ एक ही शौक था..के
अपने सारे शौक पूरे करूँ!
शौक क्या छूटे..
यह इकलौता शौक भी अधूरा रह गया!

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12 HOURS AGO

कठिन परिस्थितियों से गुज़रने के लिए!
कठिन परिस्थितयों से गुज़रना ज़रूरी है..
अनुभव प्राप्त करने के लिए!

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23 HOURS AGO

नाम हर साँस पर
तुम्हारा ही होता है!
जिन्दा तो हैं मगर...
जीने के लिए तुम्हारी यादों
का सहारा ही होता है!

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YESTERDAY AT 19:07

अधुरा है यह सफ़र ज़िंदगी का!
चाहे फिर वो अच्छी हों या बुरी..
कमबख्त...
कभी होंठों पर हंसी तो..
कभी आंखें नम कर जाती हैं!

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YESTERDAY AT 19:03

एहसास और अल्फाज बहुत हैं..
सिर्फ़ कमी है तो बस समझने वालों की!

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YESTERDAY AT 17:14

दर्द दूसरों को दे जाना!
छीन कर दूसरों की
हंसी खुद मुस्कुराना!
कभी इक बार किसी
का गम बांट के देखना,
आदत बना लोगे तुम भी फिर
हंसी बांटकर खुद मुस्कुराना!

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YESTERDAY AT 17:00

"माँ" तुम्हारे बिना कमजोर सा पड़ गया हूँ!
आपके आंचल में सब गम गायब हो जाते थे,
अब गम घेर लेते हैं मुझको अक्सर,
आप होते साथ तो यह गम पास कभी ना आते!
ना कह सकता हूँ किसी से हाल मेरा,
आपके बिना हिम्मत हार सा गया है यह बेटा तुम्हारा!

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YESTERDAY AT 13:26

अब की बरसात भी कुछ
"उनकी" ही तरह थी शायद..
"दिल" को जलाकर
और
आँखें नम करके चली गयी.!

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YESTERDAY AT 12:10

Accepting the thing which
we were always feared of..

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