Vibha Kumari   (Vibha kumari)
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Teacher( psychology)
Joined 17 July 2020


Teacher( psychology)
Joined 17 July 2020
22 JAN 2023 AT 19:24

अभी तुम्हारा जिक्र हुआ था तुम चीज ही ऐसे हो
सात पर्दों के बाद भी इत्र और इश्क छुपता कहां है।

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17 JAN 2023 AT 19:18

कितना ढूंढा उसे ना मिला कभी
लगा दी जब जां की बाजी
पल में मेरे पहलु में मिला ।
आवाज जब सिर्फ होठों से निकले
कहां सुनाई पड़ता है
कलेजे से निकलती है
तो दूर तक जाती है
यारों देह और रूह का
बस फर्क इतना है !

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16 JAN 2023 AT 20:18

तुम जो ना मिलते हो ,कुछ खोया सा लगता है
जीवन के अंतिम लौ बुझने तक मिलते रहना ।
तुम जो हंसते हो पुष्प मुकुलन सा लगता है
जीवन में मेरे यूं ही हास परिहास घोले रहना ।
तुम और तेरी बातें अंतःकरण को तृप्त करती है
अपनी बातों के सानिध्य में पास बिठाए रहना ।
देखूं मैं तेरी नयनों में तेरी आंखों के दर्पण में मैं
तुझमें मैं मुझमें तुम कुछ खोए खोए रहना ।


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8 JAN 2023 AT 20:05


जिंदगी में मेरे जब से तू शामिल हुआ,
तुझ बिन सब रीता लागे ,रीता लागे रे ।
आ कर मेरी जिंदगी तूने जो रंग भरा ,
जिंदगी में तुझ बिन सब फीका लागे ,फीका लागे रे ।
जीवन के तारों को तूने जो झंकार दिया ,
मधुरिम वो सुर ताल खोया लागे ,खोया लागे रे ।
अंखियों में मेरे जो तूने सपने बुने ,
तुझ बिन मीत मेरे अधूरा लागे ,अधूरा लागे रे ।



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8 JAN 2023 AT 19:45

क्या कुछ ऐसा ही नहीं है
नए साल का आना और
पुराने साल का चले जाना
जैसे समुद्र में एक पानी के बूंद का समाना
और पुनः एक बूंद का वास्पीभूत होना ।
नहीं कुछ घटता है
नहीं कुछ बढ़ता है।

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28 DEC 2022 AT 19:40

क्या हम गुलाम हैं समाज का ?
क्या हम गुलाम हैं संस्कारों का ?
क्या हम गुलाम हैं आदतों का ?
क्या हम गुलाम हैं विचारों का ?
क्या हम गुलाम हैं किसी व्यक्ति का ?
क्या हम गुलाम हैं प्रेम का ?
गुलामी चाहे कोई भी हो
ये गुलामी हरगिज नहीं अच्छी !

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19 DEC 2022 AT 18:09

उसके अरदास में
जुड़े हुए दोनो हाथ
तन्मय वह
हृदय की आकुलता
समस्त अभिलाषा
प्रेम में अर्पित करता वह
जाने क्यों वह मेरे हृदय को छू गया ।
कहां अलग थी उसकी और मेरी भाषा
प्रेम की भाषा एक ही होती है
उसके प्रार्थना में
मैने अपनी प्रार्थना भी जोड़ दिया
प्रभु सुन लेना इसकी करुण पुकार ।

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30 NOV 2022 AT 9:39

नींद मां की आगोश जैसी होती है
सारे दर्द को निचोड़, सुकून देती है।

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29 NOV 2022 AT 15:05

जिंदगी इतनी भी समतल कहां रही है
फिर क्यों हैरान परेशान हुआ जाय ..!

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26 NOV 2022 AT 17:37

ओ प्यारी चाय ,तेरी महक और तू
कब मेरी आदत में शुमार हो गई
पता न चला ....!

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