सुनो न...
साथ दे पाओगे तुम..?
यदि किसी ने दूरियों के बीज बो दिए
तो क्या उन दूरियो को कम कर पाओगे तुम..?
जान हो तुम मेरी
क्या सबके सामने इतना कह पाओगे तुम..?
बोल कर बयां नहीं कर पाते हम
क्या फिर भी खामोशियां सुन पाओगे तुम..?
हां माना बोर हो जाते हो
पर मेरे बगैर जिन्दगी जी पाओगे तुम..?
शक्ल सूरत पर मरने वाली इस दुनिया में
क्या दुनिया को मेरे होकर दिखा पाओगे तुम..?
❤️❤️❤️
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