Utpal Kumar   (Utpal Kumar)
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Joined 26 August 2019


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25 JUN 2023 AT 22:05

Just as the Lactobacillus necessary for the human body die when mixed with NaCl, in the same way if your love is attached to someone other than you, then your life also becomes like Lactobacillus.

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23 JUN 2023 AT 21:24

Success is Slow

Whoever succeeds fast in this world; be assured that they are only visitors, THEY ARE NOT PERMANENT.

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23 FEB 2023 AT 11:19

मेरी मईशत मेरी हैं
खुसूसियत का परवाह नही
बेहतर होगा आप मुदाख़लत न करे
और ना ही ज़रूरत आपके इमदाद की

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20 DEC 2022 AT 22:44

हमें गुलाब की खुशबु से पता चलता हैं कि वो किसके बाग़ीचे का हैं
बस हमें ये नही पता कि उस बाग़ीचे में उसको सूंघने कौन कौन आते हैं

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1 DEC 2022 AT 22:57

ज़ालिम प्यास लगी थी सल्तनत-ए खुदा-ए-अज़ल की अमोल-ए-फ़िजा-ए-महफिल-ए-मशक्कत-ए मंजिल-ए-ज़मी पर मगर मुकर्रर नहीं थी ज़मज़म तो थोड़ा हराम ही पी लिया.....

तो कौन सा गुनाह कर लिया ?

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24 NOV 2022 AT 13:31

तअल्लुक़ जो थी कुछ अरसा पहले
वो बारिश की तरह बादलों से अलग हो गया
दरख़्तों पे कुछ सूखे रन्जिशें लटक रहे थे
हवा-ए-हिजरत ने उसे ज़मी पर बिखेर दिया

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19 NOV 2022 AT 19:29

जुदा हो गया ख़फ़ा हो गया
राहे फिर भी दिल की हैं बाकी
हम ना चाहे कि और रोंए
फिर भी रूलाएं यादें उसकी

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11 AUG 2022 AT 21:41

बादल जिस तरह बारिशों के लिए बनी हैं, गिरती हैं
कुछ लोग हैं जो सिर्फ धुंए के लिए बनी हैं, छोड़ते हैं

समझते नहीं कि एक तिल्ली बनाने में सौ की मेहनत लगती हैं
और इसलिए ही जला कर यहां उहां फेंकता है, फेंकती हैं

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10 AUG 2022 AT 22:11

कहानीयां नहीं बदलती जो अख़बारों में लिखा गया हो
सिर्फ उसके हुए इस्तेमाल से कह सकते हैं कि ये पुरानी है
पढ़ के या ना पढ़ के फेंक दे तो भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता
अगर एक बर पढ़ लिया तो सबको बे-नकाब कर देता है

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1 AUG 2022 AT 21:22

Q. No 1: पानी-पथ के युद्ध का वर्णन करों .

Ans:

पानी-पथ का युद्ध लगभग आज से चार सो पाँच सो साल पहले लड़ा गया था । युद्ध बहुत खतरनाक था । इतनी भग-दौर मची की अब मैं किया ही बताऊ मेरे हाथ कांप रहें । चलो फिर भी मैं वर्णन कर ही देता हूं । तो युद्ध के शुरूआत में कई सारे सैनिक हाथी घोड़े लेकर उधर से आते हैं और कई सारे सैनिक इधर से हाथी घोड़े लेकर जाते हैं । फिर दोनों सेनाएं आपस में तक-राती हैं ।

तलबारें चलती हैं तपा तप
भालें खोपते हैं खपा खप
गर्दनें कटती हैं गपा गप
लहू बहता हैं लपा लप

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